डेस्क: तमिलनाडु की अन्ना यूनिवर्सिटी के परिसर में एक छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न के मामले पर मद्रास हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. हाई कोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले पर हम सबको शर्म आनी चाहिए. चिंता जताते हुए कोर्ट ने कहा कि जहां इस घटना को हमें वेक-अप कॉल की तरह लेना चाहिए था वहां इसे पूरी तरह से राजनीतिक रंग दिया जा रहा है जिसका कोई कारण ही नहीं है.
मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पी. वेलमुरुगन ने यह टिप्पणी उस समय की जब पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) की एडवोकेट के बालू ने कहा कि पुलिस पार्टी की महिला शाखा को इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी रही है. तब न्यायाधीश ने कहा कि राजनीतिक दलों ने इस मामले के विरोध प्रदर्शन का इस्तेमाल मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया है न कि मामले के प्रति कोई असल चिंता जताने के लिए.
जज ने मीडिया को भी गैरजिम्मेदारी से काम करने के लिए लताड़ा और कहा, ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मीडिया को इस मुद्दे पर रिपोर्ट नहीं करनी चाहिए, लेकिन निश्चित रूप से उस तरह से नहीं करना चाहिए जिस तरह से वे कर रहे हैं…मुझे इस युग में रहने में शर्म आती है जब जेंडर, जाति आदि के आधार पर भेदभाव जारी दिखाई देता है. हम सभी को शर्म आनी चाहिए. सख्ती से कहें तो हम सभी ऐसे अपराधों में सह-आरोपी हैं.’
अदालत ने मामले को गलत तरीके से संभालने के लिए पुलिस की भी आलोचना की. छात्रा ने कोट्टूरपुरम पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस की एफआईआर की कॉपी लीक हो गई थी जिससे पुलिस की और किरकिरी हुई थी. एफआईआर में इस्तेमाल की गई भाषा में पीड़ित लड़की को दोषी ठहराया गया था.
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