नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि साल 2014 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने से पहले 2011 में देश में जो भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन हुआ था उसे बीजेपी और आरएसएस का समर्थन प्राप्त था.
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई को दिए एक इंटरव्यू में प्रशांत भूषण ने कहा कि आम आदमी पार्टी के बनने से पहले इंडिया अगेन्स्ट करप्शन की जो मुहिम चली थी उसके पीछे बीजेपी और आरएसएस के अपने राजनीतिक हित थे.
हालांकि वो कहते हैं कि अन्ना हज़ारे को इसके बारे में नहीं पता था लेकिन अरविंद केजरीवाल को ज़रूर इसके बारे में पता था.
माना जाता है कि अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में हुई इस मुहिम से मनमोहन सिंह की अगुआई वाली यूपीए सरकार की स्थिति कमज़ोर हुई जिसके बाद साल 2014 में भाजपा सरकार केंद्र में सत्ता में आई थी, और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी सरकार बनी थी.
लेकिन आम आदमी पार्टी के गठन से पहले अन्ना हज़ारे ने अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक मुहिम से ख़ुद को दूर करते हुए कहा था कि आम आदमी पार्टी को उनके नाम या छवि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
प्रशांत भूषण इस आंदोलन में कई महीनों तक भी शामिल थे, हालांकि बाद केजरीवाल और उनके बीच मतभेद बढ़े और जिसके बाद पार्टी की अनुशासन समिति ने उन पर विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाकर उन्हें दिया था.
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