उज्जैन। शहर के घने क्षेत्रों में मवेशियों के झुंड लगाने वाले कई पशु मालिकों के निशाने पर अब आगर रोड क्षेत्र में बनी नई कॉलोनियां आ गई है। पहले कार्रवाई की जद में आए बाड़ों के बाद अब उन्होंने नई कॉलोनियों में आवारा मवेशी छोडऩा शुरू कर दिया है। एमआर-5 मार्ग की आधा दर्जन कॉलोनियों के रहवासी पिछले 2 साल से इसकी शिकायत नगर निगम में कर रहे हैं, लेकिन अधिकारियों ने आंखें मंूद ली है और पशु पकडऩे वाली गैंग पशु मालिकों की चाकरी में लगी हुई है।
शहर में लगातार मवेशी राज बढ़ रहा है। कोरोना के पहले अवैध पशु बाड़ों के खिलाफ तत्कालीन निगमायुक्त प्रतिभा पाल के कार्यकाल में कई कार्रवाई हुई थी और दर्जन से ज्यादा पशु बाड़े तोड़े गए थे। लेकिन उनके जाने के बाद से जब से नगर निगम में मौजूदा कमिश्नर ने कार्यभार संभाला है तब से पशु पालक निश्चिंत हो गए हैं। शहर की ऐसी कोई गली, मोहल्ला, सड़क, चौराहे और हाइवे नहीं बचे हैं जहां मवेशियों के झुंड नजर ना आए। इसके पीछे कारण यह है कि पिछले ढाई साल से नगर निगम ने आवारा मवेशी पकडऩे तथा उन्हें कपिला गौशाला भेजने की कार्रवाई बंद कर दी है। इतना ही नहीं पूर्व में कार्रवाई कर तोड़े गए पशु बाड़े फिर से आबाद होने लगे हैं। कई पशु मालिकों ने तो दूध देना बंद कर चुके मवेशियों को आगर रोड क्षेत्र में बनी नई कॉलोनियों में हांकना शुरू कर दिया है। ढांचा भवन तथा आसपास के कई पशु पालकों ने सेंटपाल स्कूल के आगे बनी नई कॉलोनियों को अघोषित पशु बाड़े बनाना शुरू कर दिया है। यह मवेशी लोगों के घरों में भी घुसने लगे हैं। कॉलोनी के बगीचों को भी यह मवेशी उजाड़ रहे हैं। इसकी शिकायत रहवासी पिछले 2 साल से नगर निगम में कर रहे हैं, लेकिन कार्रवाई की बजाय हमेशा की तरह नगर निगम की मवेशी गैंग में शामिल कुछ कर्मचारी पशु पकडऩे वाली गाड़ी लेकर आने से पहले ही फोन कर पशु मालिकों को सूचना देकर अलर्ट कर देते हैं। लोगों का कहना है कि निगमायुक्त अंशुल गुप्ता को इस मामले में ध्यान देना होगा।
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