ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) । दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े बदमाशों में गिना जाने वाला अनिल दुजाना (Anil Dujana) मुठभेड़ में ढेर हो गया है। दुजाना को गुरुवार को मेरठ में भोला झाल के पास एसटीएफ (STF) ने मार गिराया। इसके साथ ही जहां दुजाना के खौफ का अंत हो गया है तो उसकी कई कहानियां लोगों की जुबान पर हैं। अपराध की दुनिया में उतरने से पहले दुजाना का सपना सैनिक बनने का था, लेकिन यह पूरा ना हो सका। चुनाव जीतकर नेता बनने की भी उसकी ख्वाहिश अधूरी रह गई।
दादरी तहसील के दुजाना गांव का रहने वाला अनिल दुजाना अपने छह भाइयों में पांचवें नंबर का था। उसका सपना सेना में जाने का था और इसके लिए काफी प्रयास किए थे, लेकिन लंबाई कम होने के चलते सपना पूरा नहीं हुआ। उसने जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़कर सियासत में भी पैर जमाने की कोशिश की थी, लेकिन नाकाम रहा। दुजाना के पिता का नाम चतर सिंह उर्फ चरतू है।
उनके छह बेटे भोपाल, ओम प्रकाश, अजय पाल, मैनपाल, अनिल और जय भगवान हैं। जयभगवान की गैंगवार में मौत हो गई थी। दुजाना सेना में नहीं जा पाने के बाद वह गांव के टीटू के संपर्क में आ गया। वह टीटू को गुरु मानता था। इसके बाद वारदात करता चला गया। उसने वर्ष 2016 में जेल में रहते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ा। उसे सबसे अधिक वोट मिले, लेकिन हाईकोर्ट ने चुनाव रद्द कर दिया।
दर्जनों हत्या, लूट और अपहरण जैसे केस में आरोपी रहा अनिल दुजाना शुरुआत में छोटी-मोटी वारदातों को अंजाम देता था। सन 2000 के आसपास वह सुंदर भाटी के लिए लोहे की छड़ें चोरी करता था। दुजाना का नाम पहली बार पुलिस रिकॉर्ड में 2002 में आया जब उस पर गाजियाबाद में एक शख्स की हत्या का आरोप लगा। इसके बाद तो वह धीरे-धीरे दिल्ली एनसीआर का बड़ा बदमाश बन गया। उस पर अभी 60 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं और वह बड़े गैंग का सरगना था। पश्चिमी यूपी के व्यापारी और अन्य लोग उसके नाम से खौफ खाते थे।
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