कराची। पवित्र कुरान (quran) की बेअदबी करने के मामले एक महिला को कथित तौर पर गिरफ्तार किए जाने के बाद गुस्साई भीड़ ने महिला पर हमला करने की कोशिश की और कराची (Karachi) में एक पुलिस थाने पर धावा बोल दिया। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने पुलिस अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, ईशनिंदा के एक मामले में गिरफ्तार महिला (arrested woman) को भावनात्मक रूप से कमजोर बताया गया और उसका इलाज चल रहा है। यह घटना गुरुवार को हुई जब उपद्रवी प्रदर्शनकारी कानून अपने हाथ में लेने की कोशिश करते हुए न्यू कराची इलाके के पुलिस थाने में जबरदस्ती घुस गए क्योंकि वे कानूनी कार्रवाई (legal action) से संतुष्ट नहीं थे और खुद ही संदिग्ध को दंडित करना चाहते थे।
महिला के लिए कड़ी सजा की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों (protesters) और पुलिस के बीच तनावपूर्ण स्थिति और आक्रोश के बाद पुलिस और रेंजर्स की भारी टुकड़ी घटनास्थल पर पहुंची। बाद में इलाके के एसएचओ अहमद नवाज ने डॉन को बताया कि पुलिस ने स्थिति को बिगड़ने से रोका और भीड़ को तितर-बितर कर दिया। प्राथमिकी के अनुसार, दो महिलाओं ने पुलिस को पवित्र कुरान की एक प्रति सौंपी है, जिसे आशंकि रूप से जला दिया गया था।
घटना के संबंध में सोशल मीडिया पर कई वीडियो भी वायरल हो रहे हैं, जिसमें संदिग्ध महिला स्पष्ट रूप से सवालों का जवाब दे रही है कि उसने कुरान को क्यों जलाया। डॉन के अनुसार, महिला कह रही है कि “मैं यहूदी हूं … मुसलमान यहूदियों के खिलाफ हैं … इसलिए, उसने कुरान को जलाया।” हालांकि, क्षेत्र के एसएचओ ने रेखांकित किया कि संदिग्ध मुस्लिम है और मूल रूप से दादू की रहने वाली है और फिलहाल न्यू कराची में रह रही है।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि पाकिस्तान (Pakistan) में दर्ज मानवाधिकार के मामले एक नए निचले स्तर तक पहुंच गए हैं, जो कई मीडिया रिपोर्टों और वैश्विक निकायों (global bodies) के साथ देश में महिलाओं, अल्पसंख्यकों, बच्चों और मीडियाकर्मियों के लिए विकट स्थिति को दर्शाती है। दक्षिण एशियाई देश में हिंदू और ईसाई समूहों की स्थिति सामान्य रूप से खराब है, लेकिन इन समुदायों की महिलाएं अधिकारियों, राजनीतिक समूहों, धार्मिक दलों, सामंती ढांचे और मुस्लिम बहुसंख्यक के भेदभावपूर्ण रवैये से सबसे बुरी तरह प्रभावित हैं।
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