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    नहीं हो पाईं आंगनवाडिय़ां हाईटेक, मोबाइल खरीदना है, चार साल से बेचने वाली कंपनियां ही नहीं मिलीं विभाग को

  • July 24, 2022

    • हर महीने 200 का रिचार्ज दे रहे, पूरे मप्र में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को दिए जाना हैं 97 हजार मोबाइल

    इंदौर, प्रियंका जैन देशपांडे। आंगनवाडिय़ों को हाईटेक बनाने की सरकार की योजना ठंडे बस्ते में ही पड़ी है। इंदौर सहित पूरे मध्यप्रदेश को 97 हजार मोबाइल की जरूरत है, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग को बेचवाल ही नहीं मिल रहा है। इंदौर के लिए 6 बार पोर्टल पर जानकारी देने के बावजूद कोई निर्माता या एजेंट सामने नहीं आया।

    महिला एवं बाल विकास विभाग को लेकर मंत्रालय ने हाईटेक करने की योजना तो बना ली, लेकिन इंदौर सहित कई जिलों में यह योजना ठंडे बस्ते में ही पड़ी है। पिछले चार साल से इंदौर सहित रायसेन, श्योपुर, अशोकनगर, गुना, ग्वालियर, हरदा, आलीराजपुर, धार, बालाघाट, छिंदवाड़ा, जबलपुर, मंडला, नरसिंहपुर, सिवनी, रीवा, सतना, अनूपपुर, शहडोल, देवास, मंदसौर सहित मध्यप्रदेश के कई जिलों को मोबाइल खरीदने के लिए कोई बेचवाल ही नहीं मिल रहा। विभाग को भोपाल मंत्रालय से निर्देश मिले हैं कि जब तक मोबाइलों की पूर्ति न हो जाए, जेम पोर्टल पर निविदाएं आमंत्रित की जाती रहें।


    6 बार डिमांड जारी की, लेकिन निविदाएं ही नहीं आर्इं
    इंदौर जिले की आंगनवाडिय़ों को हाईटेक करने के लिए 1839 एंड्रायड मोबाइल की आवश्यकता है, वहीं 72 सुपरवाइजर को मिलाकर यह आंकड़ा 1911 होता है, लेकिन विभाग के छह बार मांग रखने के बावजूद कोई बेचवाल ही सामने नहीं आ रहा है। जेम पोर्टल पर बार-बार निविदाएं आमंत्रित की जा रही हैं, लेकिन किसी भी कंपनी या एजेंसी ने संपर्क नहीं किया है।

    8 से 10 हजार का मोबाइल चाहिए
    विभाग से मिली जानकारी के अनुसार आंगनवाडिय़ों को हाईटेक करने के लिए आठ से दस हजार रुपए कीमत के मोबाइल दिए जा रहे हैं। इन मोबाइल में 2.5 प्रोसेसर के साथ विभिन्न तरह की सुविधाओं की लिस्ट जारी की गई है। विभाग ने जारी निविदा में शर्त रखी है कि जो भी मोबाइल कंपनी पूर्ति के लिए सामने आती है, उसका सर्विस सेंटर इंदौर में ही होना अनिवार्य है। मोबाइल में एडमिन पोर्टल, स्कैन डिवाइस, ब्लूटूथ, वाईफाई आदि सुविधाएं मौजूद होना चाहिए।

    यह है योजना
    महिला एवं बाल विकास विभाग ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मोबाइल देकर हाईटेक बनाने की योजना चार साल पहले शुरू की थी, जिसमें कहा गया था कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मोबाइल के माध्यम से सेंटर पर आने वाले सभी बच्चों के पोषण की जानकारी अपलोड करेंगी, वहीं गर्भवती महिलाओं को दिए जाने वाले पोषण और दुर्घटनावश या जानबूझकर किए गए गर्भपात की ट्रैकिंग भी की जाएगी। इन मोबाइल के माध्यम से कार्यकर्ता आंगनवाड़ी सेंटरों पर लगने वाले सामानों की मांग भी रख सकेंगी।

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