– डॉ. प्रभात ओझा
कोरोना रोधी वैक्सीन लगाने का भारत का 100 करोड़ का आंकड़ा पार करना निश्चित ही विशेष बात है। इसे केंद्र सरकार अपनी उपलब्धि के तौर पर दर्शाये तो इसमें कोई आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए। खासकर तब, जबकि वैक्सीनेशन के प्रारम्भ में कुछ विपक्षी नेताओं ने इलाज को भी पार्टी से जोड़ दिया था। यहां याद करना होगा कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो यहां तक कहा था कि वे ‘भाजपा का टीका’ नहीं लगवाएंगे।
सपा मुखिया ने तो लोगों को भरोसा देने की कोशिश भी की थी कि लोग उनकी सरकार बनने तक टीके का इंतजार करें। तब सभी को मुफ्त टीके लगवाए जाएंगे। आज देखना बड़ा खास है कि जिस उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने लोगों को अपनी सरकार और टीका लाने का भरोसा दिया था, उसी राज्य और उन्हीं की भाषा में नौ करोड़, 43 लाख लोग ‘भाजपा के ही टीके’ की पहली डोज लगवा चुके हैं। उत्तर प्रदेश में तो दो करोड़, 78 लाख लोगों ने दूसरी डोज भी ले ली है।
दरअसल, कोई भी जीवन रक्षक अभियान और दवाएं किसी पार्टी विशेष की नहीं होतीं। देश में सर्वाधिक टीकाकरण के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना होनी ही चाहिए। मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की ढेर सारी उपलब्धियां यूं ही नहीं हासिल की है। यहां याद करना होगा कि संन्यास धर्म के बावजूद वे अपने पिता के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देने जा सकते थे। फिर भी उन्होंने अपने जन्मदाता की जगह राज्य के करोड़ों ‘जनक-जानकी’ और उनकी संततियों का ख्याल रखने के लिए लखनऊ में रहकर महामारी नियंत्रण की निगरानी को प्राथमिकता दी थी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की प्रशंसा का मतलब यह नहीं कि अन्य राज्य अथवा वहां की गैर भाजपा सरकारों ने बेहतर काम नहीं किया है। निश्चित ही महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल राज्य सरकार भी इस श्रेणी में आती है। इन दोनों राज्यों में टीकाकरण दूसरे और तीसरे स्थान पर रहा। हालांकि दूसरे नंबर पर रहे महाराष्ट्र का आंकड़ा उत्तर प्रदेश से बहुत पीछे है। वहां उत्तर प्रदेश के नौ करोड़, 43 लाख के मुकाबले छह करोड़, 43 लाख ही पहली डोज लग पाई। पश्चिम बंगाल चार करोड़, 97 लाख पहली डोज लगाकर तीसरे नंबर और गुजरात चार करोड़, 41 लाख के साथ चौथे नंबर पर है। पांचवें स्थान पर मध्य प्रदेश, छठवें पर बिहार, सातवें पर कर्नाटक, आठवें पर राजस्थान, नौवें पर तमिलनाडु और तीन करोड़, 10 लाख पहली डोज के साथ आंध्र प्रदेश 10वें नंबर पर रहा।
आम लोगों के स्वास्थ्य के मामले में भले ही उत्तर प्रदेश सबसे आगे हो, देखना होगा कि इससे पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर स्थिति का पता चलता है। कई राज्यों में टीके की बर्बादी की शिकायतों के बावजूद केंद्र ने ध्यान रखा कि हर राज्य को उसकी मांग के अनुरूप टीके उपलब्ध हो सकें। बहरहाल, हम 100 करोड़ टीके लगाने पर संतोष व्यक्त करें, इसमें कोई खराबी नहीं है। खराबी तब होगी, जब हम यहीं आकर निश्चिंत हो जाएं। याद रखें कि अमेरिका जैसा सुविध सम्पन्न और मजबूत देश आज कोरोना से इस कदर त्रस्त है कि उसे बूस्टर- दर- बूस्टर की खोज और उन्हें प्रयोग करना पड़ रहा है। हमने अपने बेहतर स्वास्थ्य समन्वय के कारण इस महामारी से काफी हद तक निजात पाई है। फिर भी केरल, महाराष्ट्र के एक हिस्से और पूर्वोत्तर के मिजोरम में मरीजों की संख्या घटती-बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल की चिंता भी जायज दिखती है कि देश की 25 फीसदी आबादी ने अभी तक टीका नहीं लगवाया है।
निश्चित ही स्वास्थ्यकर्मियों के साथ ऐसे लोगों को आगे बढ़कर टीकाकरण अभियान में हाथ बंटाना होगा। साथ ही त्योहारों के मौसम में कोरोना-सावधानियों का भी पालन करना होगा। आखिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी तो भारत के पास 100 करोड़ कोरोना रोधी कवच होने पर खुशी जताने के साथ लोगों से इस कवच को बढ़ाने और अधिक मजबूत करने की अपील की है।
(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार में न्यूज एडिटर हैं।)
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