इंदौर। कोरोना जैसी घातक बीमारी से संघर्ष कर रहे मरीजों के लिए वरदान बने रेडमेसिवर इंजेक्शन के बाद अब आइटोलिजूमेब इंजेक्शन भी मौतों को रोकने का कारगर उपाय साबित हुआ है। इंदौर के अरबिंदो हास्पिटल में अब तक 100 मरीजों के इलाज के बाद ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने इस इंजेक्शन को कोरोना इलाज की मान्यता दे दी है। यह इंजेक्शन कोरोना वायरस के कारण शरीर के श्वास तंत्र पर होने वाले अटैक को रोककर मौतों को नियंत्रित करेगा।
ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया के अनुसार यह कोरोना के उपचार के लिए एक सार्थक उपाय हो सकता है। इससे मानव शरीर में एंटीबॉडी, यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता जहां बढ़ेगी, वहीं श्वास तंत्र पर होने वाले अटैक यानी एक्युअल रेस्पिरेटरी डिट्रेस सिंड्रोम को रोकने में भी यह इंजेक्शन मदद कर सकता है। बायोकॉन लिमिटेड द्वारा बनाया जा रहा यह इंजेक्शन कोरोना के लिए अब मान्यता प्राप्त उपचार हो गया है, जिससे रोगियों के रोग को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
रेडमेसिवर इंजेक्शन ब्लैक में… सारा स्टाक अमेरिका ने खरीदा
इसके पहले कोरोना के इलाज के लिए सार्थक साबित हुए रेडमेसिवर इंजेक्शन का सारा स्टाक अमेरिका द्वारा खरीदे जाने के बाद भारत में इसकी उपलब्धता सीमित रह गई थी। यह इंजेक्शन काफी महंगा होने के साथ ही बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं है। यह इंजेक्शन भी कोरोना के श्वसन तंत्र पर हो रहे संक्रमण को रोकने में कारगर साबित हुआ है। अब रेडमेसिवर इंजेक्शन के बाद आइटोलिजूमेब इंजेक्शन आने के बाद लोगों को राहत मिलेगी। यह इंजेक्शन भी संक्रमण रोकने में कारगर साबित होगा।
आम लोगों की पहुंच से बाहर काफी महंगा है इलाज
वैसे तो रेडमेसिवर इंजेक्शन और उसके बाद अब आइटोलिजूमेब कोरोना संक्रमण के घातक अंजाम को शिथिल करने में कारगर उपचार है, लेकिन दोनों ही इंजेक्शन काफी महंगे हैं। रेडमेसिवर के 6 इंजेक्शन की खुराक जहां 30 से 32 हजार रुपए में उपलब्ध है, वहीं आइटोलिजूमेब का एक इंजेक्शन 8 हजार रुपए में मिलता है और इसके भी 4 इंजेक्शन लगाना होते हैं। ऐसी स्थिति में सामान्य वर्ग के मरीजों के लिए यह उपचार आसान नहीं होगा। यह इंजेक्शन तब कारगर होते हैं, जब कोरोना अचानक श्वसन तंत्र पर हमला कर चंद घंटों में जान ले लेता है।
अरबिंदो ने भेजे थे प्रयोग के परिणाम… कई अस्पतालों ने भी सार्थक बताया तब जाकर मिली मंजूरी
कोरोना संक्रमण के दौरान अरबिंदो हास्पिटल ने अब तक इस बीमारी के इलाज को लेकर कई सार्थक प्रयोग किए हैं। अस्पताल में इससे पहले रेडमेसिवर इंजेक्शन का जहां प्रयोग कर लोगों की जान बचाई गई, वहीं टोजीमॉब इंजेक्शन से भी करीब 100 लोगों का इलाज कर इस घातक बीमारी से बचाया। अस्पताल द्वारा किए गए प्रयोग की जानकारी डायरेक्टर आफ ड्रग कंट्रोलर को दी गई। इसके बाद देशभर के कई अन्य अस्पतालों में हुए प्रयोगों ने भी जब इसे सार्थक पाया तो कोरोना संक्रमण में इसे उपयोगी मानते हुए इलाज के लिए कल मान्यता दे दी गई।
जिला प्रशासन ने भी इसी इंजेक्शन से करवाया मुफ्त इलाज
हालांकि यह बेहद कीमती इलाज है, लेकिन कोरोना संक्रमण के दौरान जिला प्रशासन ने भी इस बीमारी से मुकाबले में कोई कसर नहीं छोड़ी। कई गंभीर मरीजों के इलाज के लिए प्रशासन ने रेडक्रास के माध्यम से इन इंजेक्शनों की खरीदी कर अस्पताल को मुहैया कराए और लोगों का मुफ्त इलाज कराया।
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