उज्जैन। प्राचीन नगरी उज्जैन में देश के 51 शक्तिपीठ में एक माता हरसिद्धि मंदिर सहित गढ़कालिका मंदिर और अन्य प्राचीन माता मंदिर हैं लेकिन इसके साथ ही उज्जैन के त्रिवेणी संग्रहालय में कई वर्षों पुरानी प्राचीन प्रतिमाएँ मौजूद है जो खुदाई में अलग-अलग स्थानों से प्राप्त हुई थी।
उज्जैन सहित देशभर में शक्ति और माता की आराधना का पर्व नवरात्रि बड़े उत्साह से मनाया जा रहा है। श्रद्धालु माता के मंदिरों पर पहुँचकर माता के दर्शन और पूजन कर रहे हैं, वहीं शाम होते ही गरीबों के माध्यम से भी माता की आराधना की जा रही है। धार्मिक नगरी उज्जैन में कई अतिप्राचीन माता के मंदिर है लेकिन उज्जैन के त्रिवेणी संग्रहालय में अलग-अलग स्थान से खुदाई में प्राप्त हुई माता की अति प्राचीन प्रतिमाएँ विराजित हैं। यह माता प्रतिमाएँ अतिप्राचीन तो है ही, लेकिन यह प्रतिमाएँ विदेशों तक पहुँचकर भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी है। उज्जैन में महाकाल लोक के समीप स्थित त्रिवेणी संग्रहालय मूलरूप से 2016 सिंहस्थ में मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के माध्यम से स्थापित किया गया था। इस संग्रहालय मे ऐतिहासिक और पौराणिक मूर्तियों का अनूठा संग्रह है, जिसका सनातन से गहरा संबंध है। देश विदेश के कोने-कोने से पर्यटक यहाँ आते हैं। संग्रहालय की स्थापना के दौरान यहाँ प्रदेश के 10 संग्रहालयों से प्राचीन और सर्वश्रेष्ठ प्रतिमाओं को लाकर रखा गया है। इसके साथ ही पुरातत्व दीर्घा में प्रदर्शित लगभग 1800 वर्ष प्राचीन देवी सरस्वती की प्रतिमा अपने आप में अनुपम है। प्रतिमा में देवी सरस्वती को वीणा का वादन करते हुए दिखाया गया है। इसी तरह संग्रहालय की दीर्घा में आठवीं शताब्दी ईस्वीं की विश्व प्रसिद्ध महिषासुरमर्दिनी की प्रतिमा भी है। यहाँ पर सप्त मातृकाएँ भी है जो विभिन्न देवों की शक्ति है, जिसमें ब्राह्मणी, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, आदि छठी सातवीं शताब्दी की प्रतिमाएँ है। इस संग्रहालय में शैव, शाक्त एवं वैष्णव संप्रदाय की अति प्राचीन पाषाण निर्मित प्रतिमाएँ प्रदर्शित है।
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