नई दिल्ली। कांग्रेस(Congress) की हिमाचल प्रदेश इकाई की संचालन समिति से इस्तीफा देने वाले आनंद शर्मा (Anand Sharma) रविवार को एक न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान भावुक हो गए. उन्होंने कहा, ‘मैंने पार्टी को अपना पूरा जीवन दिया, इसके बावजूद मुझे अपमानित किया गया, नीचा दिखाने की कोशिश की गई.’ एनडीटीवी से बात करते हुए आनंद शर्मा ने कहा, ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं अकेला हूं…हम सभी के जीवन चुनौतियां हैं. मैं वर्षों से ऐसी चुनौतियों का सामना कर रहा हूं, मैं राजनीति छोड़ सकता था. मेरा बेटा ऑटिस्टिक है…मैंने अपना प्रोफेशन छोड़ दिया, मैंने अपना पूरा जीवन दे दिया. मुझे बदनाम करने की जरूरत नहीं है. मैं बहुत आहत और अपमानित महसूस कर रहा हूं. मुझे इसका दुख है.’ यह कहते हुए आनंद शर्मा की आवाज टूट रही थी, वह किसी तरह अपने आंसुओं को रोक पा रहे थे.
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी छोड़ने की योजना है? आनंद शर्मा ने कहा, ‘कभी नहीं. मैं इसे बिल्कुल स्पष्ट कर रहा हूं. कांग्रेस में ऐसा कोई नहीं है जो गुलाम नबी आजाद, मुझसे और कुछ अन्य लोगों से सवाल कर सके, जिन्होंने पार्टी को अपना पूरा जीवन दे दिया.’ उन्होंने कहा, ‘यह क्या अफवाह फैलाई जा रही है. आंतरिक सुधारों और सामूहिक निर्णय लेने वाले नेतृत्व के लिए पार्टी में मुद्दों को उठाना, क्या यह अपराध है? यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की परंपरा और इतिहास रहा है. साजिश रचने वाले और अनिधिकृत लोग हमारे बारे में इस तरह की बेतुकी टिप्पणियां नहीं कर सकते.’
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की संचालन समिति से क्यों दिया इस्तीफा?
अपमान के बारे में बोलते हुए, शर्मा ने हिमाचल प्रदेश(Himachal Pradesh) संचालन समिति के पद से इस्तीफा देने के अपने कदम के बारे में बताया. उन्होंने कहा, पार्टी की कार्य समिति और उसके राजनीतिक मामलों की समिति का लंबे समय तक सदस्य रहने के बाद, मैंने यह नहीं कहा था कि मुझे एक संचालन समिति का अध्यक्ष बनाया जाए. उस समय को रेखांकित करते हुए जब कांग्रेस ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों को हिमाचल प्रदेश भेजा था, आनंद शर्मा ने कहा, ‘मुझे सभी बैठकों का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित क्यों नहीं किया गया, इसका मैं जवाब नहीं दे सकता. मेरी स्थिति अस्थिर हो गई थी.’
आनंद शर्मा कई मुद्दों पर कांग्रेस की तीखी आलोचना करते रहे हैंजी-23 के अन्य नेताओं की तरह, आनंद शर्मा, पिछले 2 वर्षों में कई मुद्दों को लेकर कांग्रेस पार्टी की तीखी आलोचना करते रहे हैं, जिसमें बंगाल में एक मुस्लिम मौलवी द्वारा बनाई गई एक विवादास्पद नई पार्टी के साथ गठबंधन और कपिल सिब्बल के घर पर हुए हमले को लेकर केंद्रीय नेतृत्व की चुप्पी शामिल है. सोनिया गांधी द्वारा वादा किए गए संगठनात्मक परिवर्तनों के बाद उनके पत्र में बार.बार देरी होने के कारण, कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी. पिछले 2 वर्षों में कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, अश्विनी कुमार, कपिल सिब्बल और हार्दिक पटेल जैसे नेताओं को खो दिया. इनमें से ज्यादातर नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं.
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