लंदन/वाशिंगटन। असम से जाकर उत्तर-पूर्वी इंग्लैंड में रह रहे 75 वर्षीय भारतीय मूल के एक डॉक्टर ने लंदन की एक अदालत में अपने भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील दायर की। डॉक्टर ने याचिका में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (स्वतंत्र) या उल्फा (आई) का कथित अध्यक्ष होने के आतंकवाद के आरोप के तहत ब्रिटेन से भारत प्रत्यर्पित किए जाने को चुनौती दी है।
काउंटी डरहम में जनरल प्रैक्टिश्नर (GP) डॉ. मुकुल हजारिका को मुकदमे का सामना करने के लिए भारतीय अधिकारी भारत लाना चाहते हैं। उन पर भारत में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन से संबंधित साजिशों में शामिल होने का आरोप है।
भारत की तरफ से पेश हुए क्राउन प्रॉसीक्यूशन सेवा (CPS) ने वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट्स कोर्ट में जिला जज माइकल स्नो को बताया कि जिस साजिश के लिए वह वांछित है, वह एक आतंकी समूह के हिस्से के रूप में शिविरों के आयोजन और आतंक के लिए युवकों की भर्ती से संबंधित है। अदालत ने उन्हें प्रत्यर्पण सुनवाई की अवधि के लिए लंदन के एक पते पर रहने की अनुमति दी। सुनवाई अगले सप्ताह तक चलेगी।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने निर्वासन से राहत के लिए भारतीय की अपील खारिज की
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने देश में दशकों बिता चुके एक भारतीय के खिलाफ फैसला सुनाया है। मामला पंकज कुमार एस. पटेल से संबंधित है और वह ड्राइविंग लाइसेंस आवेदन पर गलत जानकारी देने के बाद निर्वासन का सामना कर रहा है।
पंकज और उसकी पत्नी ज्योत्साबेन 1992 में अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश कर गए थे। उसने एक वैध स्थायी निवासी बनने की मांग की, जबकि ग्रीन कार्ड के लिए उसकी याचिका लंबित थी। उसने 2008 में ड्राइवर के लाइसेंस नवीनीकरण आवेदन पर अमेरिकी नागरिक होने का झूठा दावा किया। बाद में, उस पर झूठा बयान देने का आरोप भी लगाया गया। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया कि संघीय अदालतें आव्रजन अफसरों के निर्वासन फैसलों की समीक्षा नहीं कर सकती हैं। पटेल के मामले में भी उन्हें आव्रजन के लिए अपात्र माना गया।
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