चित्रकूट। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के चित्रकूट जिले में गत 31 मार्च को पुलिस और एसटीएफ ने मुठभेड़ (Police and STF encounter) में 25 हजार के इनामी डकैत भालचंद्र (dacoit bhalchandra) को मार गिराने का दावा किया. इस मुठभेड़ के बाद भालचंद्र के परिजनों ने इसे सुनियोजित हत्या बता कर पुलिसकर्मियों पर आरोप लगाया. मामले ने तूल पकड़ी औश्र ये दस्यु भावित कोर्ट तक पहुंच गया. जिसके बाद गुरुवार को कोर्ट ने आदेश दिया कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अंकित मित्तल और एसटीएफ के अधिकारियों सहित अन्य 15 पुलिसकर्मियों पर लूट और हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए।
गौरतलब है कि 31 मार्च को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अंकित मित्तल ने 5 लाख के इनामी डकैत गौरी यादव से मुठभेड़ के दौरान ही भालचंद्र को भी एनकाउंटर में मार गिराया था।
परिजनों ने बताया था फेक एनकाउंटर
घटना के बाद भालचंद्र के परिजन ने एनकाउंटर को फेक बताया था. परिजन के अनुसार भालचंद्र यादव अपनी पेशी करने के लिए सतना गया था जहां पर उसके हस्ताक्षर भी थे. रास्ते से एसटीएफ पुलिस ने उसे उठा लिया और उसके साथ बेरहमी से मारपीट कर उसकी हत्या करते हुए एनकाउंटर दिखा दिया था. बाद में परिजन के विरोध को देखते हुए पुलिस ने शव देने से भी मना कर दिया था लेकिन मध्य प्रदेश के विधायक के हस्तक्षेप के बाद उनकी जवाबदेही पर पुलिस ने उसके शव को परिजनों को सौंप दिया था।
भालचंद्र की पत्नी ने पुलिस पर फेक एनकाउंटर का आरोप लगा कर कोर्ट में न्याय की गुहार लगाई थी. जिसके बाद गुरुवार को विशेष न्यायालय दस्यु प्रभावित क्षेत्र कोर्ट ने बहिलपुरवा थाने को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अंकित मित्तल और एसटीएफ सहित 15 पुलिसकर्मियों के खिलाफ लूट और हत्या करने के आरोप पर मुकदमा पंजीकृत करने के आदेश दे दिए हैं।
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