वाशिंगटन। अंतरिक्ष में सूर्य का चक्कर लगा रही हमारी पृथ्वी के साथ एक ऐसा क्षुद्रग्रह भी है जो उसी की कक्षा में रहकर चक्कर लगा रहा है। वैज्ञानिकों ने इसे ‘अर्थ ट्रोजन एस्ट्रॉयड’ का नाम दिया है। दरअसल, खगोलविदों ने साल 2020 में ही इसे खोज लिया था। लेकिन उस समय तक इसे एक अद्भुत वस्तु के रूप में देखा जा रहा था। अब उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि यह एक ‘अर्थ ट्रोजन एस्ट्रॉयड’ है। जो कि अगले 4 हजार साल तक पृथ्वी के साथ चक्कर लगाता रहेगा।
शोधकर्ताओं ने ट्रोजन को धरती के साथ चक्कर लगाने वाला दूसरा और सबसे बड़ा एस्ट्रॉयड बताया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अब तक अंतरिक्ष में हमारे सोलर सिस्टम और उसके बाहर अन्य ग्रहों के ट्रोजन एस्ट्रॉयड की खोज हुई थी। इससे पहले साल 2010 में भी एक ऑब्जेक्ट की खोज हुई थी, जिसे 2010 टीके7 का नाम दिया गया था। हालांकि, यह बहुत छोटा है लेकिन पृथ्वी की साथ उसी की कक्षा में रहकर चक्कर लगाने वाला दूसरा और सबसे बड़ा एस्ट्रॉयड है।
शोध के लेखक टोनी संताना रोस ने कहा, पहले अर्थ ट्रोजन को 2020 एक्सएल5 का नाम दिया गया था। ट्रोजन का मिलना इस बात की पुष्टि करता है कि 2010 टीके7 का मिलना कोई नई बात नहीं है। संभावना है कि ऐसे कई अन्य एस्ट्रॉयड भी मौजूद है, जो अभी हमारी नजरों से छिपे हैं। उनकी खोज के लिए हमें अपनी निगरानी पर और अधिक ध्यान देने की जरूरत है। दिसंबर 2020 में खगोलविदों ने 2020 एक्सएल5 की खोज पैन-स्टार्स 1 सर्वे टेलीस्कोप से की थी। यह टेलीस्कोप हवाई में स्थित है। जो धरती की कक्षा में रहकर सूर्य के चक्कर लगा रहा है।
क्या होते हैं एस्ट्रॉयड
ये ऐसी चट्टानें होती हैं, जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं। लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं। हमारे सोलर सिस्टम में अधिकतर एस्ट्रॉयड मंगल और बृहस्पति ग्रह की कक्षा में एस्ट्रयड बेल्ट में पाए जाते हैं। इसके अलावा ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते और ग्रह के साथ ही सूर्य का चक्कर लगाते रहते हैं।
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