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जमीन के नीचे दबा था प्राचीन कमरा और गुप्त रास्ता, मकान की नींव की खुदाई में आया सामने

  • March 25, 2025

    बुरहानपुर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर जिले (Burhanpur District) में खुदाई के दौरान एक प्राचीन कमरा और गुप्त रास्ता मिला है. इसका पता तब लगा, जब प्लॉट मालिक अपने नए मकान की नींव की खुदाई करा रहे थे. स्थानीय लोग इसे ऐतिहासिक धरोहर मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि यह पुराने समय में अनाज रखने के लिए बनाए गए गोदाम का हिस्सा हो सकता है. इस खबर ने इतिहासकारों और पुरातत्व विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया है और इसके ऐतिहासिक महत्व की जांच करने की मांग की है.

    मामला बुरहानपुर जिले के राजपुर क्षेत्र का है. बुरहानपुर शहर अति प्राचीन और पुरातत्व की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है. इसी के चलते यहां पर अक्सर खुदाई के दौरान जमीन में कमरे और रास्तों का मिलना आम बात हो गई है. स्थानीय प्लॉट मालिक आनंद भगत नए मकान के निर्माण के लिए नींव की खुदाई करा रहे थे. खुदाई के दौरान वहां एक कमरा और गुप्त रास्ता निकला है.

    इस खबर के फैलते ही आसपास के लोग इसे देखने के लिए मौके पर पहुंच रहे हैं. राजपुरा वार्ड के पार्षद अजय बेलापुरकर भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने इसे प्राचीन धरोहर होने की संभावना बताई. उनका कहना है कि इस खुदाई से नए ऐतिहासिक तथ्य सामने आ सकते हैं और इसे पुरातत्व विभाग के द्वारा जांचा जाना चाहिए. हालांकि, प्लॉट मालिक आनंद भगत का कहना है कि यह पुराने समय में अनाज रखने के लिए बनाए गए गोदाम का हिस्सा हो सकता है.


    जिला पुरातत्व संघ के सदस्य डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि बुरहानपुर ऐतिहासिक रूप से फारूकी, मुगल और मराठा शासन का साक्षी रहा है. यहां किले, बावड़ी, सराय, अनाज गोदाम और गुप्त रास्तों का मिलना कोई नई बात नहीं है. इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए शोध का विषय है क्योंकि इससे पता चलता है कि उस समय लोग किस प्रकार की तकनीक और प्रणाली का उपयोग करते थे.

    प्राचीन समय में राजपुरा राजा जयसिंह के अधीन था. राजपुरा में जिस जगह पर पुराना कमरा और गुप्त रास्ते निकले हैं , यह इसका प्रतीक है कि पुराने समय में कैसे इन गुप्त रास्तों का प्रयोग मुश्किल और युद्ध के समय में किया जाता था. युद्ध के समय इन तहखानों में अनाज को रखने और अन्य सुविधाएं होती थी. इससे राज परिवार आसानी से एक जगह से दूसरी जगह अपनी सारी जरूरत की चीजों को लेकर वहां से निकल सकते थे.

    स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस तरह की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए. पार्षद अजय बेलापुरकर ने पुरातत्व विभाग को पत्र लिखकर इस स्थल की जांच और संरक्षण की मांग करने का प्रस्ताव दिया है. उनका मानना है कि इस तरह के ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण किया जाना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों को हमारे गौरवशाली अतीत के बारे में जानकारी मिल सके.

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