नई दिल्ली। यह कहानी है चीन के शंघाई (shanghai of china) में रहने वाले 88 साल (88 year old) के मा की। वह लगभग चार करोड़ रुपए के आलीशान मकान (luxurious house worth four crore rupees) में अपनी जिंदगी आराम से जी रहे थे, लेकिन उम्र के आखिरी पड़ाव में इकलौती संतान (बेटे) की मौत ने उनका सुख-चैन छीन लिया। यहां तक कि बेटे के अंतिम संस्कार (Funeral) में उनकी तीन बहनें, रिश्तेदार में से कोई भी नहीं आया। बीमार होने पर मा अस्पताल में भर्ती हुए, तब भी कोई नहीं आया। ऐसे में मा के मकान के पास फल बेचने वाले लियु (fruit seller liu) ने देवदूत बनकर उनकी टूटती सांसों को थाम लिया और उनकी देखभाल की जिम्मेदारी उठा ली। मा उसकी सेवा से इतने प्रभावित हुए कि अपनी जिंदगीभर की सारी कमाई ( lifetime earnings) उसके नाम कर दी। अब सोशल मीडिया (social media) पर मा की यह दरियादिली खूब सुर्खियां बटोर रही है।
फल बेचने वाला लियु करोड़पति बन गया, लेकिन मा द्वारा वसीयत में उसके नाम सारी प्रॉपर्टी किए जाने की जानकारी तीनों बहनों को लगी तो वे इस पर अपना अधिकार जताने लगीं और लियु को इसके लिए कानूनी लड़ाई भी लडऩी पड़ी। दरअसल, 31 दिसंबर, 2021 को मा ने अपनी मौत से एक साल पहले लियु के साथ एक अग्रीमेंट (वसीयत) पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें लिखा था कि जीते जी लियु ही उनकी देखभाल करेगा और मौत के बाद उनकी सारी प्रॉपर्टी भी उसे ही मिल जाएगी। लेकिन तीनों बहनों का कहना था कि अपने भाई की प्रॉपर्टी में उनका अधिकार है। काफी परेशान होने के बाद लियु ने बाओशान डिस्ट्रिक्ट पीपल्स कोर्ट का रुख किया।
बहनों ने कोर्ट में दावा किया कि उनके भाई मा की मानसिक हालत ठीक नहीं थी, उन्हें भूलने की बीमारी थी। ऐसे वक्त में उनसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए गए। हालांकि, वे कोर्ट में इस दावे को साबित नहीं कर सकीं। इसी महीने बाओशान डिस्ट्रिक्ट पीपल्स कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अग्रीमेंट वैध है और आदेश दिया कि मा का घर, पैसा सब कुछ लियु को दे दिया जाए। अब लियु अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ मा के घर में रह रहे हैं। हालांकि, लियु पत्नी व बच्चों को तब इस घर में लेकर आया था, जब मा बीमार पड़े थे और सभी ने मिलकर उनकी देखभाल की थी। कहा जाता है कि नि:स्वार्थ रूप से की गई सेवा कभी व्यर्थ नहीं जाती है और फल बेचने वाले लियु भी शायद यही संदेश दे रहे है।
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