चंडीगढ़: खुफिया एजेंसियों के हवाले से अधिकारी पहले ही इस बात का खुलासा कर चुके हैं कि खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) युवाओं को आत्मघाती हमले करने के लिए अमृतसर के जल्लूपुर खेड़ा गांव में नशा मुक्ति केंद्र में ट्रेनिंग दे रहा था. अमृतपाल उन्हें आतंकवाद (Terrorism) और गन कल्चर की ओर धकेल रहा था. जो युवा बंदूक चलाने की ट्रेनिंग नहीं लेना चाहते थे, उनकी जानवरों की तरह पिटाई की जाती थी. युवा वहां नशा छोड़ने के मकसद से आए थे लेकिन उन्हें बाद में पता चला कि अमृतपाल के मंसूबे बहुत ही खतरनाक थे. वे भागना चाहते थे लेकिन उन्हें भागने भी नहीं दिया जाता था.
अमृतपाल के सेवादार ने मीडिया को खुद बताया कि यहां गैरकानूनी तरीके से नशा मुक्ति केंद्र (Drug Addiction Center) चलाया जा रहा था. नशामुक्ति केंद्र में भर्ती रह चुके एक युवा ने बताया कि जब उसने वहां रहने और ट्रेनिंग लेने से इनकार किया तो उसे बुरी तरह से पीटा गया. उसने कहा कि जो भी नशामुक्ति केंद्र को छोड़ने की बात करता था, उसे बुरी तरह से पीटा जाता था. स्थानीय डीएसपी हरकिशन सिंह ने मीडिया को दिए एक बयान में बताया कि अमृतपाल नशा मुक्ति केंद्र की आड़ में आनंदपुर खालसा फोर्स (Anandpur Khalsa Force-AKF) तैयार करना चाहता था. उसके साथ के अधिकांश गिरफ्तार किए गए लोग नशेड़ी हैं.
अधिकारियों ने भी बीते गुरुवार को इस बात का खुलासा किया था कि भगोड़ा कट्टरपंथी खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह नशा करने वालों और सेना से गलत व्यवहार के कारण जबरन सेवानिवृत किए गए पूर्व सैनिकों का एक गिरोह बनाने की तैयारी कर रहा था. जिसे आसानी से बाद में आतंकवादी संगठन में बदला जा सके. अधिकारियों ने बताया कि एक साथ चलाए गए अभियान में उसने अपने आदमियों के साथ ऐसे पूर्व सैनिकों की तलाश शुरू कर दी जो बुरे बर्ताव के कारण सेना से सेवानिवृत्त हो चुके थे.
ताकि उनका इस्तेमाल हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने के लिए किया जा सके. अधिकारियों ने कहा कि जब अमृतपाल ने ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन को संभाला तो उसके पास दो निजी सुरक्षा अधिकारियों का कवर था. इस साल की शुरुआत में यह संख्या बढ़कर 16 हो गई थी. अधिकारियों ने कहा कि आश्चर्यजनक बात यह थी कि उसके सात निजी सुरक्षा अधिकारी युवा थे. जो पुनर्वास के लिए उनके नशा मुक्ति केंद्र में शामिल हुए थे. उन्होंने कहा कि इलाज के लिए वहां रहने के दौरान उन्हें प्रशिक्षण दिया गया था.
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