नई दिल्ली: खालिस्तानी समर्थक (Khalistani supporters) और वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) का वीडियो सामने आया है. इसमें उसने कहा है कि वो मजे में है और कोई भी उसका बाल भी बांका नहीं कर पाया है. गिरफ्तारी पर उसने कहा कि वो ऊपर वाले के हाथ में है. मेरे ऊपर सच्चे पातशाह की कृपा है. मैं काफी बड़े पुलिस (Police) के घेरे से निकल गया.
उसने कहा कि जो मेरी गिरफ्तारी की बात है वो सच्चे पातशाह (true king) के हाथ में है. मैं चढदी कलां (मजे में) हूं और कोई मेरा बाल भी नहीं हिला सका. सच्चे बादशाह ने मुश्किल वक्त में हमारी परीक्षा ली है, लेकिन ऊपर वाले ने मेरा बहुत साथ दिया है. ऐसी मेहर की है कि मैं बयान नहीं कर सकता कि इतने बड़े पुलिस के घेरे से मैं निकल गया. ये सच्चे बादशाह की वजह से हुआ है.
वो कहता है कि अमृत वक्त के दौरान सरबत खालसा सिख संगठनों का धार्मिक सम्मेलन बुलाया जाए. देश-विदेश में जहां भी सिख संगत बैठी है मैं उनसे अपील करता हूं कि वैशाखी पर होने वाले इस सरबत खालसा में वो सब लोग शामिल हों और वहां से कौम के मसलों की बात हो, क्योंकि लंबे वक्त से हमारी जो कौम है, वो हमारे मसलों पर छोटे-छोटे मोर्चे लगाकर उलझी रहती है. हमें चाहिए कि अपने मसलों का हल कराएं. हुकूमत ने हमारे साथ नाइंसाफी की है. हमारे साथियों पर एनएसए लगाकर उन्हें असम भेज दिया क्योंकि उन्होंने सिख धर्म की बात की.
मेरे कई साथियों को असम भेजा गया है और कइयों को जेल में डाला गया है. ये सीधे तौर पर हमारे साथ जुल्म है. हमें पता है कि हम जिस रास्ते पर चल रहे हैं वहां हमें ये सब कुछ सहना पड़ेगा और ये हमारा कौमी फर्ज है. मैं सारी सिख संगत, जो देश-विदेश में बैठी है, उनसे मैं अपील करता हूं कि जो सरबत खालसा वैसाखी पर होने जा रहा है इस पर गौर करें और जैसा हमारे जत्थेदार साहब ने कहा है कि धार्मिक कीर्तन के कार्यक्रम करके गांव में जाकर लोगों को जागरूक करेंगे.
मेरी सबसे विनती है कि लोग पहले से ही बहुत जागरूक हैं, लोगों के मन में हुकूमत ने जो खौफ पैदा किया है इसको तोड़ने वास्ते जरूरी है कि आगे आकर चाहे वो दल हो, टकसाले हो, सिख संगठन हो, वो सब इस वैसाखी पर होने जा रहे सरबत खालसा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और ये सरबत खालसा एक बड़ा आयोजन होना चाहिए. अहमद शाह अब्दाली ने जो आंदोलन (घल्लूघारा) किया था उसके बाद श्री दरबार साहिब पर जो सरबत खालसा हुआ था, अब उससे बड़ा भी सरबत खालसा होना चाहिए. कुछ वैसा ही कार्यक्रम अब वैशाखी के दौरान भी होना चाहिए. मेरी संगत से अपील है कि अगर पंजाब की जवानी बचानी है और अपना कौमी हक हासिल करना है तो हम इकट्ठे हों.
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