नई दिल्ली। उदयपुर (Udaipur) की तरह ही अमरावती (Amravati massacre) की वीभत्स घटना में भी एनआईए (NIA) को आरोपियों और आतंकी गुटों (accused and terrorist groups) से साठगांठ का कोई सबूत नहीं मिल पाया है। विदेशी साजिश के सूत्र भी एनआईए नही खंगाल पाई है। एनआईए से जुड़े सूत्रों ने कहा कि अभी तमाम पहलुओं की जांच की जा रही है। इसलिए किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। अभी तक की जांच के मुताबिक यह आतंकी कृत्य (terrorist act) जैसी घटनाएं स्थानीय कट्टरपंथी गुटों और समूहों की ही वारदात लग रही है, जिसका मकसद दहशत फैलाना है।
जांच एजेंसी घटना में शामिल आरोपियों के लिंक और उनकी कट्टरपंथी गुटों से गठजोड़ को लेकर लगातार अलग अलग पहलुओं को खंगाल रही है। सूत्रों ने कहा कि आने वाले दिनों में अमरावती की घटना से जुड़े कुछ अहम खुलासे हो सकते हैं। गौरतलब है कि जांच एजेंसी (एनआईए) ने अमरावती केस में शनिवार देर रात प्राथमिकी दर्ज की थी। वारदात को एक वर्ग को आतंकित करने के मकसद से की गई घटना बताया गया था।
जांच एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि उदयपुर और अमरावती में हुई हत्याएं आईएसआईएस शैली की हत्या है। यह बर्बर आतंकी कृत्य प्रतीत होता है, लेकिन किसी आतंकी गुट की संलिप्तता का साक्ष्य अभी तक नहीं मिला है।
एनआईए इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या ये घटनाएं राष्ट्रीय साजिश का हिस्सा है, या फिर विदेश से इस बर्बर अपराध को भड़काया गया है। हत्याकांड के मामले में एनआईए ने गिरफ्तार आरोपियों पर यूएपीए की संगीन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। एनआईए ने इन आरोपियों के खिलाफ कमिटिंग एक्ट ऑफ टेरर की धारा के तहत भी मामला दर्ज किया है।
अमित शाह से मिले एनआईए प्रमुख
उदयपुर और अमरावती हत्याकांड की जांच एनआईए को सौंपे जाने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी के निदेशक दिनकर गुप्ता ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। एनआईए प्रमुख सोमवार शाम अमित शाह से मिलने के लिए गृह मंत्रालय पहुंचे। करीब 35 मिनट की मुलाकात के बाद मीडिया से उन्होंने कहा कि अभी इस मामले की जांच चल रही है। इस तरह के मामलों के बारे में जांच एजेंसी सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कह सकती। अमरावती और उदयपुर की घटना के बीच संबंध के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी जांच चल रही है।
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