गरीब किसान… तीन बेटियां … एक मंडप में ब्याहने की मजबूरी
बचपन में कर दी सगाई, अब ब्याहने की थी तैयारी, अमला रखेगा नजर
इंदौर। गरीब पिता तीन बेटियों के कन्यादान और विवाह के खर्चे उठाने के लिए बालिग बेटी के साथ दो नाबालिगों को भी ब्याह रहा था। एक नाबालिग के विवाह की सूचना पर पहुंचे दल को दस्तावेजों की जांच में दूसरी भी बेटी नाबालिग मिली। दोनों का विवाह रुका।
बड़ी बेटी के लिए विवाह मंडप की तैयारियां कर रहे गरीब किसान पिता ने उसी मंडप और उसी खर्चे में दो अन्य बेटियों को भी ब्याहने की तैयारी कर ली थी। पिता की मजबूरी कहे या समाज द्वारा दान-दहेज देकर बेटियों को बोझ बनाने की प्रथा की मजबूर बाप ने एक ही मंडप में तीनों बेटियों को ब्याहने का फैसला किया। देपालपुर तहसील के सुमठा गांव में महिला एवं बालविकास विभाग को एक नाबालिग लडक़ी के विवाह की सूचना मिली थी, जिस पर बालविवाह रोधी उडनदस्ते को पहुंचाया गया, लेकिन दस्तावेजों की जांच में जहां एक बालिग निकली तो दो नाबालिग का विवाह होना भी पाया गया। जांच पड़ताल में परिवार पहले तो बेटियों के बालिग होने की बात कहता है, लेकिन जब कानून और डंडे का जोर दिखाया गया तो पिता ने बच्ची के नाबालिग होने की बात कबूल तो ली, लेकिन अपनी गरीबी का कारण बताते हुए मिन्नतें करने लगा।
रिश्तेदार पहुंचे मंडप सजा
बालिकाओं की सगाई रिश्तेदारों के कहने पर रस्म के अनुसार बचपन में ही कर दी गई थी। पिता ने बताया कि उसकी इतनी हैसियत नहीं है कि वह तीनों बच्चियों के विवाह का आयोजन अलग-अलग कर सके, इसलिए तीनों का एक साथ विवाह करना तय किया है। इसके लिए रिश्तेदार पहुंच गए और मंडप भी सज गया था। चाइल्ड लाइन विभाग की मोनिका बघाय ने बच्चियों की कम उम्र में स्वास्थ्य पर पडऩे वाले प्रभाव की जानकारी दी तो परिवार शादी नहीं करने पर राजी हुआ। देपालपुर पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंची टीम ने पंचायत सचिव और सरपंच के साथ मिलकर परिवार को समझाइश दी।
एक की आएगी बरात
घर में विवाह को लेकर की गई तैयारियां और तीन मंडप, छपी पत्रिका का हवाला देते हुए टीम ने विवाह निरस्त करने के निर्देश दिए। कोर ग्रुप के सदस्य महेंद्र पाठक ने बताया कि गरीब परिवार की बेटियों को मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत मदद करने की बात पर परिवार तैयार हो गया। अब बालिग बेटी की ही बरात घर आएगी, जबकि दो नाबालिगों की शादी निरस्त कर दी गई है। हालांकि विभाग का अमला विवाह की प्रक्रिया पूर्ण होने तक मौके पर नजर बनाए हुए है।
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