नई दिल्ली. कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अमेरिकी (America) दौरे के दौरान आरक्षण (reservation) पर बयान (statement ) दिया था. उनके इस बयान पर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. इस बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता और गृहमंत्री अमित शाह ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है.
Standing with forces that conspire to divide the country and making anti-national statements have become a habit for Rahul Gandhi and the Congress party. Whether it is supporting the JKNC's anti-national and anti-reservation agenda in J&K or making anti-India statements on…
— Amit Shah (@AmitShah) September 11, 2024
शाह ने कहा कि राहुल गांधी का बयान क्षेत्रवाद, धर्म और भाषाई मतभेदों की तर्ज पर दरार पैदा करने की कांग्रेस की राजनीति को उजागर करता है. देश से आरक्षण खत्म करने के बारे में बोलकर राहुल गांधी एक बार फिर कांग्रेस के आरक्षण विरोधी चेहरे को बाहर ले आए हैं. जो विचार उनके मन में थे, वे शब्द बनकर बाहर आ गए हैं. मैं राहुल गांधी से कहना चाहता हूं कि जब तक बीजेपी है, कोई भी आरक्षण को खत्म नहीं कर सकता और ना ही कोई देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर सकता है.
क्या बोले थे राहुल गांधी?
अमेरिका यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने वर्जीनिया में एक भाषण दिया था, जहां उन्होंने भारतीय अमेरिकी समुदाय के सैकड़ों लोगों से बातचीत की थी. इस दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि RSS कुछ धर्मों, भाषाओं और समुदायों को अन्य की तुलना में कमतर मानता है. उन्होंने कहा कि भारत में राजनीति के लिए नहीं बल्कि इसी बात की लड़ाई लड़ी जा रही है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि लड़ाई किस बारे में है. कांग्रेस नेता ने कहा कि लड़ाई इस बात की है कि क्या एक सिख को भारत में पगड़ी या कड़ा पहनने का अधिकार है या नहीं. या एक सिख के रूप में वह गुरुद्वारा जा सकते हैं या नहीं.
राहुल गांधी के इस बयान पर खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने अपना समर्थन दिया था. राहुल गांधी के बयान को जायज ठहराते हुए गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा कि राहुल गांधी ने काफी बोल्ड स्टेटमेंट दिया है. उनका ये बयान सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के अलग खालिस्तान देश की मांग को जस्टिफाई करता है.
पन्नू ने कहा कि भारत में सिखों की हालत पर राहुल गांधी ने जो बयान दिया है वो न केवल साहसिक है बल्कि 1947 के बाद से भारत में सिखों पर हो रहे अत्याचार को दिखाता है. यह पंजाब की आजादी के लिहाज से सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के रुख की भी पुष्टि करता है.
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