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    शिंदे और अजित से मिले अमित शाह, 45 मिनट की बैठक में शरद पवार का किला जीतने पर हुई चर्चा

  • August 06, 2023

    नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह महाराष्ट्र दौरे पर हैं. दो दिनों के इस दौरे को महाराष्ट्र में आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर काफी अहम माना जा रहा है. महाराष्ट्र पहुंचने के बाद शनिवार की शाम अमित शाह ने लगभग ढाई घंटे तक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस समेत पार्टी के बड़े नेताओं के साथ बैठक की. इस दौरान 45 मिनट तक अमित शाह ने शिंदे और अजित पवार के साथ अलग से बातचीत की.

    इन 45 मिनट में शाह ने शिंदे और पवार से आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर विस्तार से बातचीत की. महाराष्ट्र लोकसभा सीटों के लिहाज से भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है. यहां कि 48 लोकसभा सीटों में से बीजेपी 45 जीतने की कोशिश कर रही है. पिछले चुनावों में बीजेपी ने शिवसेना के समर्थन से यहां 41 सीटें जीती थीं. अब अन्य राज्यों में विपक्षी गुट की एकता के चलते बीजेपी को देशभर में कई सीटों पर नुकसान पहुंचने की संभावना हैं, ऐसे में पार्टी अपने उन किलों को और मजबूत करने की कोशिश में है, जिसके बूते वो बहुमत के आंकड़े को सुनिश्चित कर सके.

    शिंदे और पवार के साथ हुई बैठक में अमित शाह ने पश्चिम महाराष्ट्र के उन इलाकों पर खास चर्चा की, जो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी या कहें शरद पवार के गढ़ के तौर पर मानी जाती हैं. पश्चिम महाराष्ट्र की इन चार सीटों को जीतने की रणनीति पर 45 मिनट की बैठक में बातचीत हुई. ये चार सीटें हैं बारामती, शिरुर, रायगढ़ और सतारा, जिनपर पिछले चुनावों में एनसीपी की जीत हुई थी.

    लोकसभा के मद्देनजर महाराष्ट्र में बीजेपी की राजनीति
    दरअसल बीजेपी महाराष्ट्र में पिछले काफी समय से सूबे की राजनीति लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चला रही है. यही कारण था कि कोई विशेष जरूरत न होने के बाद भी बीजेपी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को तोड़ते हुए अजित पवार को अपने साथ सरकार में शामिल कर लिया. इसी के साथ उन्हें डिप्टी सीएम का पद और महत्वपूर्ण मंत्रालय भी दिए गए. जबकी बीजेपी को उस समय ऐसी कोई विशेष जरूरत ऐसा करने की नहीं थी.


    आमतौर पर ऐसा तभी किया जाता है जब या तो सरकार गिरानी हो या खुद के संख्या बल को सुरक्षित करना हो. एनसीपी को तोड़ने से पहले ही बीजेपी के पास शिंदे गुट और अन्य पार्टियों के 170 विधायकों का समर्थन था. शिंदे के 16 विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटकी हुई है, लेकिन अगर इनकी सदस्यता चली भी जाती तो भी बीजेपी की सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ता. लेकिन फिर भी बीजेपी ने एनसीपी के खेमे को तोड़कर अपने पाले में कर लिया. इसका एकमात्र उद्देश्य 2024 के आम चुनावों को बताया जा रहा है.

    पश्चिम महाराष्ट्र को शरद पवार की एनसीपी का गढ़ माना जाता है, अगर बीजेपी को उस गढ़ को जीतना है तो इसके लिए अजित पवार मदद कर सकते हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव में इन सीटों को जीतने की जुगत में लगी बीजेपी ने एनसीपी के अजित पवार धड़े को अपनी सरकार में शामिल कर लिया. साथ ही साथ महत्वपूर्ण मंत्रालय भी दिए ताकि वो अपने चाचा शरद पवार का पैर पश्चिम महाराष्ट्र से उखाड़ सकें.

    लोकसभा में सफल भी हुई तो विधानसभा में क्या?
    हालांकि बीजेपी का ये फैसला लोकसभा चुनाव में पार्टी को भले ही मजबूती दे, लेकिन राजनीति के जानकारों का कहना है कि इससे बीजेपी को राज्य की राजनीति में जरूर नुकसान हो सकता है. पहले शिंदे और फिर अजित पवार को अपने खेमे में शामिल कर लेने से बीजेपी के खुद के कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में हैं. कुछ समय पहले तक वो कार्यकर्ता जिन दलों और नेताओं के खिलाफ धरातल पर लंबे अर्से से जमीन तैयार कर रहे थे वो ही अब उनकी ही सरकार में मुखिया बन गए हैं.

    वहीं अगर बीजेपी लोकसभा चुनावों में अपने मकसद में सफल भी हो जाती है तो वो इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों में सीटों का बंटवारा किस आधार पर करेगी. सरकार में शामिल होने के बाद ही अजित पवार ने दावा कर दिया था कि वो विधानसभा चुनाव में 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे. वहीं शिंदे गुट को भी शिवसेना का आधिकारिक नाम और चुनाव चिन्ह मिल गया है. ऐसे में उनका वो दावा भी मजबूत हो जाता है, जिसके तहत वो शिवसेना के लिए उतनी ही सीट मांग रहे हैं, जितनी पिछले चुनावों में मिली थीं. तो क्या सीटों के इस खेल का भार भी बीजेपी ही उठाएगी. अमित शाह के दौरे पर इन सवालों के जवाब भी तलाशे जा सकते हैं.

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