नई दिल्ली (New Delhi) । केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह (Amit Shah) ने मंगलवार को हरियाणा (Haryana) के महेंद्रगढ़ में आयोजित पिछड़ा वर्ग सम्मान सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान वह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hudda) के ‘हिसाब मांगे हरियाणा’ अभियान पर जोरदार हमला बोला। शाह ने कहा कि उनके पास उनके 10 साल का हिसाब किताब हमेशा रहता है लेकिन पहले उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार का हिसाब देना होगा। अमित शाह ने कहा कि वह एक ‘बनिया’ (व्यापारी समुदाय) के बेटे हैं और वह एक-एक पैसे पर कड़ी नजर रखते हैं।
शाह ने आरोप लगाया कि हरियाणा की पिछली सरकारों ने विकास के नाम पर राज्य को कुछ नहीं दिया। उन्हें नौकरियों में भ्रष्टाचार , जातिवाद फैलाने, अन्य पिछड़ा वर्ग समाज के साथ अन्याय करने और परिवारवाद का हिसाब देना चाहिए। उन्होंने कहा, “हुड्डा साहब, मैं यहां हिसाब लेकर आया हूं, आप क्या हिसाब मांगेंगे? मैं आपको चुनौती देता हूं कि आप हमारे 10 साल के कामों और कांग्रेस के 10 साल के कामों का पोर्टफोलियो लेकर जनता के बीच जाएं। बनिए का बेटा हूं, पाई-पाई का हिसाब लेकर चलता हूं।”
बता दें कि 11 जुलाई को हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की कथित कमियों को उजागर करने के लिए अभियान शुरू किया है। वह फीडबैक के जरिए लोगों की मानसिकता और अपेक्षाओं को भी समझना चाहते हैं। इस अभियान का नाम हिसाब मांगे हरियाणा रखा गया है। उसी पर शाह अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। हरियाणा विधानसभा का चुनाव कुछ महीनों बाद होने हैं।
शाह ने कहा कि हरियाणा की भूमि तीन चीज़ों के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। सेना में सबसे अधिक जवान हरियाणा से हैं, सबसे अधिक खिलाड़ी हरियाणा से हैं और देश में सबसे अधिक अन्न का उत्पादन भी हरियाणा में होता है। उन्होंने कहा कि हरियाणा कैबिनेट ने तीन महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इसके तहत क्रीमी लेयर की सीमा को 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये करने का निर्णय लिया गया है, जिसमें वेतन और कृषि की आय नहीं गिनी जाएगी। इसके साथ ही पंचायतों में ग्रुप ए के लिए 8 प्रतिशत आरक्षण के साथ ही ग्रुप बी के लिए भी 5 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इसी तरह नगर पालिकाओं में भी ग्रुप ए के लिए 8 प्रतिशत आरक्षण के साथ ही ग्रुप बी के लिए भी 5 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी ने देश को पहला ऐसा सशक्त प्रधानमंत्री दिया है, जो पिछड़ा वर्ग से आते हैं और उनके मंत्रिमंडल के 71 में से 27 मंत्री पिछड़ा वर्ग के हैं, जिनमें 2 मंत्री हरियाणा से हैं। उन्होंने कहा कि 1957 में जब ओबीसी आरक्षण के लिए काका कालेलकर कमीशन बना तब उसे कई सालों तक लागू नहीं होने दिया गया। उन्होंने कहा कि 1980 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने मंडल कमीशन को ठंडे बस्ते में डाल दिया और जब 1990 में इसे लाया गया तो तत्कालीन प्रधाननमंत्री ने इसका विरोध किया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ओबीसी आयोग को संवैधानिक मान्यता देकर पूरे पिछड़े समाज को संवैधानिक अधिकार देने का काम किया है। केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल और नीट परीक्षाओं में पहली बार 27 प्रतिशत आरक्षण इसी सरकार ने दिया है। क्रीमी लेयर की सीमा को बढ़ाते हुए इसमें से कृषि और वैतनिक आय को बाहर रखकर एक ऐतिहासिक निर्णय भी मोदी की सरकार ने लिया है।
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