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    केन्द्र सरकार ने घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले संगठन तहरीक-ए-हुर्रियत पर लगाया बैन

  • January 01, 2024

    नई दिल्‍ली । केंद्र सरकार (Central government)ने निर्णायक कदम उठाते हुए दिवंगत अलगाववादी (separatist)नेता सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani)द्वारा शुरू किए गए पाकिस्तान (Pakistan)समर्थक समूह तहरीक-ए-हुर्रियत (TEH) को आगामी पांच साल के लिए रविवार को प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने सरकार के इस फैसले की घोषणा की। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने और भारत विरोधी दुष्प्रचार करने के चलते अलगाववादी संगठन हुर्रियत पर प्रतिबंध लगाया गया है।

    केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने इस संबंध में घोषणा करते हुए कहा कि संगठन को जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए आतंकवादी गतिविधियों को जारी रखते हुए और भारत विरोधी दुष्प्रचार करते हुए पाया गया। उन्होंने कहा कि भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हर व्यक्ति या संगठन के खिलाफ ‘आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीति के तहत कड़े कदम उठाए जाएंगे।


    शाह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘तहरीक-ए-हुर्रियत, जम्मू-कश्मीर (टीईएच) को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत एक ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित किया गया है। यह संगठन जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने और इस्लामिक शासन स्थापित करने की निषिद्ध गतिविधियों में शामिल है।’

    टीईएच पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत लिया गया है। इसके लिए समूह द्वारा भारत विरोधी दुष्प्रचार और आतंकवादी गतिविधियों को जारी रखने के ऐसे प्रयास करने का हवाला दिया गया है जिनका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में अंततः अलगाववाद को बढ़ावा देना है।

    पाकिस्तान समर्थक और भारत विरोधी रुख के लिए कुख्यात इस समूह का नेतृत्व पहले गिलानी के हाथों में था। इसके बाद इसका नेतृत्व मसर्रत आलम भट के पास आ गया। भट को भारत विरोधी और पाकिस्तान के समर्थन में एजेंडा चलाने के लिए जाना जाता है। भट फिलहाल जेल में है और उसकी पार्टी ‘मुस्लिम लीग ऑफ जम्मू कश्मीर’ को भी कुछ दिन पहले प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया गया था।

    गिलानी ने मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले उदारवादी हुर्रियत गुट से बाहर निकलने के बाद 2004 में टीईएच का गठन किया था। गिलानी के खिलाफ कई मामले दर्ज थे। गिलानी ने जमात-ए-इस्लामी से इस्तीफा दे दिया था और इस समूह का गठन किया था, जो बाद में हुर्रियत के एक अन्य गुट का घटक बन गया।

    कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के मकसद से धन जुटाने के लिए कट्टरपंथी हुर्रियत के कई सदस्यों के खिलाफ राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ने आरोप पत्र दायर किए। उनमें फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, गिलानी का दामाद एवं टीईएच का जनसंपर्क अधिकारी, हुर्रियत का सचिव एवं रणनीतिकार अल्ताफ अहमद शाह उर्फ फंटूश, हुर्रियत प्रवक्ता मोहम्मद अकबर खांड, गिलानी के निजी सचिव बशीर अहमद भट उर्फ पीर सैफुल्ला और राजा मेहराजुद्दीन कलवल शामिल हैं। गिलानी की सितंबर 2021 में और उनके दामाद की अक्टूबर 2022 में मौत हो गई।

    केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर क्षेत्र में आतंकवादी कृत्यों को जारी रखने और सुरक्षा बलों के खिलाफ पथराव की घटनाओं को अंजाम देने जैसी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान और उसके लिए काम करने वाले छद्म संगठनों सहित विभिन्न स्रोतों से धन जुटाने में टीईएच की संलिप्तता का जिक्र किया।

    इसके अलावा, अधिसूचना में कहा गया कि समूह ने संवैधानिक प्राधिकार की उपेक्षा की और विधानसभा चुनावों के बहिष्कार का बार-बार आह्वान किया जो शासन की लोकतांत्रिक प्रणाली को लेकर उसमें विश्वास की कमी को दर्शाता है।

    तहरीक-ए-हुर्रियत पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाने का केंद्र सरकार का निर्णय उसकी इस चिंता के आधार पर लिया गया है कि यदि समूह पर लगाम नहीं लगाई गई, तो वह जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने की वकालत करता रहेगा और संघ में इसके विलय को लेकर विवाद पैदा करता रहेगा। अधिसूचना के अनुसार, समूह की गतिविधियों को देश की अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए हानिकारक माना गया है।

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