हाईकोर्ट के निर्देश पर पहले प्रशासन ने लगाई थी रोक, अब निगमायुक्त ने 100 एकड़ के सभी सर्वे नम्बरों को किया अवैध, नगर तथा ग्राम निवेश कर चुका है पिछले दिनों कई अभिन्यास मंजूर
इंदौर। इन दिनों सबसे भव्य (lavish) और आलीशान बंगले (luxurious bungalows) बिचौली मर्दाना, बिचौली हब्सी और उससे जुड़े अन्य क्षेत्रों में निर्मित हो रहे हैं। शहर के अमीरों (wealthy) की कालोनी प्रगति विहार ( Pragati Vihar) को नगर निगम (municipal corporation) ने अधिकृत रूप से अवैध घोषित (declared illegal) कर दिया है। कुछ समय पूर्व हाईकोर्ट (high court) में प्रस्तुत दस पेज की जांच रिपोर्ट में भी जिला प्रशासन ने 100 एकड़ की 70 भूखंडों की इस कालोनी को अवैध ही बताया था, जहां पर खेती की जमीन पर एक-एक एकड़ के भूखंड काटकर नगर तथा ग्राम निवेश से स्वयं के आवास के स्थल अनुमोदन करवाकर भव्य बंगले तान लिए गए। निगम ने पिछले दिनों प्रगति विहार के साथ-साथ प्रगति ग्रीन पर भी रोक लगाते हुए सूचना बोर्ड भी टंगवा दिए थे, वहीं हाईकोर्ट में लगी याचिका के मद्देनजर निगम और प्रशासन ने प्रगति विहार में बनाए गए अवैध गेट भीे तोड़ दिए थे। उसके बाद ही कालोनी को अवैध घोषित करने का सिलसिला शुरू हुआ। प्रगति विहार के साथ-साथ इसी नाम से बनी अन्य कालोनियों में भी इसी तरह के अवैध निर्माण धड़ल्ले से चल रहे हैं।
बीते एक साल से रियल इस्टेट (real estate) के कारोबार (business) में जो तेजी आई उसके चलता बिचौली का क्षेत्र सबसे महंगा हो गया, जहां पर 5 हजार रुपए स्क्वेयर फीट से अधिक भूखंडों के भाव हो गए। नतीजतन बिचौली मर्दाना, हब्सी, बढिय़ाकीमा से लेकर उससे लगे तमाम क्षेत्रों में सबसे भव्य आलीशान बंगले बन रहे हैं, जिनकी लागत ही करोड़ों रुपए आ रही है। कलेक्टर मनीष सिंह ने भूमाफियाओं के खिलाफ दो साल पहले जो अभियान शुरू किया था, उसमें सुरेन्द्र संघवी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करवाने से लेकर अन्य कार्रवाई की गई। हालांकि सुप्रीम कोर्ट से जमानत का लाभ संघवी को मिल गया, जिसके खिलाफ एसएलपी भी दायर कर रखी है। संघवी परिवार से ही जुड़ी प्रगति विहार को पहले प्रशासन ने हाईकोर्ट में प्रस्तुत अपने जांच प्रतिवेदन में अवैध बताया था और साथ ही गेट और बैरिकेड्स भी ध्वस्त कर दिए थे। कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा की गई इस कार्रवाई के मद्देनजर पिछले दिनों प्रशासन ने प्रगति विहार सहित आसपास के क्षेत्रों में खेती की जमीन पर धड़ल्ले से हो रहे अवैध निर्माणों के संबंध में भी निगम को पत्र लिखे। नतीजतन निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने कल एक विस्तृत आदेश जारी करते हुए प्रगति विहार को पूर्ण रूप से अवैध घोषित कर दिया है। आयुक्त ने बिना कालोनी विकास अनुमति के कृषि भूमि को पृथक-पृथक भूखंडों में बांटकर बिना मंजूरी के अवैधानिक सडक़ों के निर्माण और अन्य विकास किए जाने पर अमीरों की कालोनी को अवैध घोषित कर दिया है। विभिन्न सर्वे नम्बरों की लगभग 100 एकड़ जमीन पर प्रगति विहार काबिज है, जहां पर एक-एक एकड़ के 70 भूखंड वर्षों पहले काटे गए, जिनमें से कई भूखंडों पर आलीशान कोठियां बन गई हैं। इन जमीनों के संबंध में अपर कलेक्टर ने 28.07.2022 को निगमायुक्त को पत्र भेजा था, जिसमें निगम एक्ट 1956 की धारा 292 के तहत जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया। नतीजतन निगमायुक्त ने एक जांच कमेटी गठित की, जिसमें तकनीकी, कालोनी सेल, क्षेत्रीय भवन निरीक्षक, भवन अधिकारी शामिल रहे। इन सभी ने संयुक्त रूप से प्रगति विहार कालोनी का मौका-मुआयना किया और जांच दल ने पाया कि संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश से बिना अभिन्यास मंजूर कराए और निगम से बिना विकास अनुमति लिए अलग-अलग भूखंडों में विभक्त कालोनी में धड़ल्ले से अवैध निर्माण किए गए। सडक़ों के साथ-साथ बिना लेआउट विद्युतीकरण, बिना मापदंडों के ड्रेनेज लाइन और कमजोर आय वर्ग और निम्न आय वर्ग के लिए आरक्षित भूमि और प्रकोष्ठ भी निर्मित नहीं पाए गए। ना तो खुली जमीन, बगीचे और अन्य सार्वजनिक उपयोग के लिए जमीन आरक्षित पाई गई। लिहाजा स्थल पर अवैध कालोनाइजेशन के पूरे प्रमाण पाए गए हैं। हालांकि कुछ समय पूर्व नगर तथा ग्राम निवेश ने कुछ अभिन्यास मंजूर किए, मगर निगम के अपर आयुक्त संदीप सोनी के मुताबिक नगर निगम ने भवन अनुज्ञा किसी को नहीं दी है।
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