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NATO कंट्री के सरेंडर के बीच इस ‘पिद्दू’ से देश ने दे दी पुतिन को धमकी

  • March 21, 2025

    डेस्क: यूरोप में रूस के खिलाफ जारी टकराव के बीच NATO देशों का रुख लगातार नरम पड़ता दिख रहा है. जिससे पुतिन के खिलाफ मोर्चा कमजोर पड़ने लगा है. कई देशों ने रूस से टकराव में पीछे हटने की रणनीति अपनाई है, लेकिन इस माहौल में एक छोटा सा देश डटकर खड़ा हो गया है. एस्टोनिया-महज 13 लाख 73 हजार की आबादी वाला यह बाल्टिक देश अब रूस को खुली चुनौती दे रहा है.

    दरअसल, एस्टोनिया ने मास्को पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उसका कहना है कि रूस ने नारवा नदी में लगाए गए उसके सीमा चिह्नों (बॉयज़) को जबरन हटा दिया है. एस्टोनियाई विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर सख्त बयान जारी करते हुए कहा, “हमारी संप्रभुता अटूट है. हमारे जलक्षेत्र से बॉयज़ हटाना पूरी तरह अस्वीकार्य है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”

    नारवा नदी रूस और एस्टोनिया की सीमा तय करती है. यह केवल दोनों देशों की हदें नहीं बांटती, बल्कि यूरोपीय संघ और NATO की पूर्वी सीमा भी मानी जाती है. मई 2024 में, रूस ने एस्टोनिया द्वारा लगाए गए 50 बॉयज़ में से 24 को बिना किसी सूचना के हटा दिया था. ये बॉयज़ जलमार्गों को चिह्नित करने के लिए लगाए गए थे, ताकि स्थानीय मछुआरे या आम नागरिक गलती से सीमा पार न करें.


    इस हरकत के बाद एस्टोनिया ने कई बार रूस के खिलाफ राजनयिक विरोध दर्ज कराया, लेकिन मास्को पर इसका कोई असर नहीं हुआ. अब जब नौवहन (शिपिंग) सीजन करीब आ रहा है, टालिन ने रूस को दोबारा चुनौती दे दी है. विदेश मंत्रालय ने नया बयान जारी कर साफ कर दिया कि, “हम अपने जलक्षेत्र में बॉयज़ लगाने से पीछे नहीं हटेंगे और इसे हल करने के लिए कूटनीतिक प्रयास जारी रखेंगे.”

    पॉलिटिको की एक खबर के मुताबिक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2022 में, जब यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू हुए ज्यादा समय नहीं बीता था, तब कहा था कि नारवा ऐतिहासिक रूप से रूस का हिस्सा रहा है. एस्टोनिया का तीसरा सबसे बड़ा शहर नारवा, राजधानी टालिन से ज्यादा करीब सेंट पीटर्सबर्ग के है. यहां की करीब 56,000 की आबादी में से 96% लोग रूसी भाषा बोलते हैं, और हर तीसरा व्यक्ति रूसी पासपोर्ट रखता है.

    NATO का सदस्य होने के बावजूद एस्टोनिया इस विवाद को सैन्य शक्ति की बजाय कूटनीति के जरिए सुलझाना चाहता है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या रूस इतनी आसानी से पीछे हटेगा? इतिहास गवाह है कि मास्को ने यूक्रेन, जॉर्जिया और मोल्दोवा जैसे पड़ोसियों पर हमेशा दबाव बनाया है. अब एस्टोनिया को भी उसी रणनीति का शिकार माना जा रहा है. लेकिन इस बार टालिन ने साफ कर दिया है कि वह बिना लड़े झुकेंगे नहीं.

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