भोपाल (Bhopal)। विधानसभा चुनाव (assembly elections) से पूर्व मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma bharti) ने महिला आरक्षण विधेयक (Women’s Reservation Bill) पेश करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की कि विधायी निकायों में महिलाओं के लिए सुनिश्चित 33 प्रतिशत आरक्षण में से 50 प्रतिशत को अलग रखा जाना चाहिए। एसटी, एससी और ओबीसी समुदायों के लिए।
बता दें कि उमा भारती ने महिला आरक्षण बिल में OBC महिलाओं के लिए आरक्षण लागू करने की मांग की है। उमा भारती ने इसे हिंदुत्व और आगामी चुनाव से जोड़कर पेश किया है। इस मांग के पीछे उन्होंने तर्क दिया है कि ऐसा करने से OBC वर्ग हिंदुत्व से खुद को अलग-थलग महसूस नहीं करेगा और आगामी चुनाव में भाजपा के साथ जुड़ा रहेगा।
पार्टी लाइन हटकर और कई बार पार्टी के खिलाफ बयानबाजी के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि ‘लोग कहते हैं कि मैं कांग्रेस के सुर में बोल रही हूं, लेकिंन ऐसा नहीं है। कांग्रेस मेरे सुर में बोल रही है। एक समय था जब कांग्रेस और भाजपा एक ही भाषा बोलते थे कि ओबीसी को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए। आज कांग्रेस ने मजबूरी में अपना रुख बदला है क्योंकि बिहार और यूपी में उनका सफाया हो गया है।”
भारती ने कहा कि ओबीसी वर्ग को “हिंदुत्व के साथ रहना चाहिए और हिंदुत्व का विरोध करने वाले नेताओं के पास नहीं जाना चाहिए, और आरक्षण इसे हासिल करने का तरीका है।” उन्होंने कहा कि अगर आप चाहते हैं कि भारत माता मजबूत हो तो आपको ओबीसी समुदाय को उसका स्थान देना होगा, उनका अपमान न करें। भारती ने एक बार फिर सूबे में सत्तासीन भाजपा सरकार के विपरीत रुख अपनाया है। जैसे-जैसे MP में चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, उमा भारती के तल्ख तेवर सामने आ रहे हैं।
गौरतलब हो बीते दिनों उमा भारती ने 19 नामों की एक सूची पार्टी के आलाकमान को भेजी थी। लिस्ट में उन नेताओं के नाम थे जिन्हें वह आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी के उम्मीदवारों के रूप में देखना चाहती थीं। इसके बाद, उनके एक समर्थक प्रीतम सिंह लोधी को आगामी चुनावों में पिछोर से टिकट दिया गया है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि उनके भतीजे राहुल सिंह लोधी को भी चौहान सरकार में शामिल किया गया था, जिसे भारती को खुश करने के कदम के रूप में देखा गया, जो राज्य में पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकते थे।
भाजपा उमा भारती को चुनाव से पहले खुश रखने की पूरी कवायद में जुटी हुई है लेकिन ये सब तब अधूरा रह गया जब उन्हें 4 सितंबर को जन आशीर्वाद यात्रा में आमंत्रित नहीं किया गया। जिसपर पलटवार करते हुए कहा था कि हो सकता है कि वे (भाजपा नेता) घबरा गए हों कि अगर मैं वहां रहूंगी तो पूरी जनता का ध्यान मुझ पर होगा।
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