इंदौर। एक तरफ अंडरग्राउंड ट्रैक की गफलत कायम है, दूसरी तरफ इंदौर मेट्रो के दूसरे चरण में बनने वाले एलिवेटेड कॉरिडोर का काम ठेकेदार कम्पनी ने तेजी से शुरू कर दिया है। अभी रोबोट से खजराना चौराहा के बीच ये काम शुरू किया गया है। मेट्रो कॉर्पोरेशन ने 495 करोड़ रुपए में इसका ठेका दिया है, जिसमें पांच मेट्रो स्टेशन भी निर्मित होंगे। अभी मिट्टी परीक्षण और पिलर निर्माण की तैयारी शुरू की गई है। इस एलिवेटेड ट्रैक का निर्माण रोबोट से लेकर पलासिया चौराहा होते हुए एमजी रोड पर किया जाना है और 5 किलोमीटर से अधिक इसकी लम्बाई रहेगी। दूसरी तरफ अंडरग्राउंड ट्रैक के रुट परिवर्तन की भी कवायद चल रही है।
भोपाल मेट्रो का प्रोजेक्ट जहां 5 साल पीछे चल रहा है, तो लगभग यही स्थिति इंदौर मेट्रो की भी है। पिछले दिनों विधानसभा में ही पूछे गए सवाल के जवाब में विभागीय मंत्री ने मेट्रो की लेटलतीफी को स्वीकार भी किया। इंदौर मेट्रो का काम भी दिसम्बर-2018 से शुरू हुआ और अब अगले 3 साल का समय इसके पूर्ण होने में लगेगा। अभी गांधी नगर से लेकर सुपर कॉरिडोर, एमआर-10, विजय नगर, रेडिसन से रोबोट चौराहा तक साढ़े 17 किलोमीटर के एलिवेटेड ट्रैक को भी पूरी तरह से तैयार नहीं किया जा सका है। हालांकि साढ़े 5 किलोमीटर के प्रायोरिटी कॉरिडोर पर सफल ट्रायल रन भी हो चुका है।
अभी पिछले दिनों रोबोट चौराहा से लेकर खजराना, बंगाली चौराहा, पलासिया और वहां से एमजी रोड, ट्रेजर आईलैंड के आगे तक के एलिवेटेड कॉरिडोर का ठेका मंजूर किया गया और कुछ दिनों पूर्व इस पर काम भी शुरू हो गया है। इंदौर मेट्रो में 22.7 किलोमटीर का हिस्सा एलिवेटेड और 8.8 किलोमीटर का हिस्सा अंडरग्राउंड रहेगा। पिछले दिनों अंडरग्राउंड ट्रैक का रुट बदलने की कवायद शुरू हुई, जिसके चलते नए सिरे से सर्वे कराने की कवायद भी की जा रही है। फिलहाल तो अंडरग्राउंड ट्रैकको लेकर गफलत कायम है और दूसरे चरण का काम मौके पर शुरू हो गया। अगर अंडरग्राउंड ट्रैक का रुट बदलता है तो दूसरे चरण का जो टेंडर मेट्रो कॉर्पोरेशन ने मंजूर किया है उसे भी निरस्त करना पड़ेगा, क्योंकि अभी बंगाली चौराहा से अंडरग्राउंड ट्रैक तैयार कर एयरपोर्ट तक उसे ले जाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके चलते अभी रोबोट से खजराना, बंगाली और वहां से पलासिया, एमजी रोड के टेंडर पर भी उसका असर पड़ेगा।
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