इस्लामाबाद । मुस्लिमों के एक प्रमुख त्योहार ईद-उल-अजहा की छुट्टियों से पहले विद्रोही तालिबान द्वारा मेल मिलाप का संदेश देने के बाद अमेरिका के शांति दूत जलमय खलीलजाद इस इलाके के लिए रवाना हो रहे हैं ताकि अफगान सरकार और तालिबान के बीच पुन: बातचीत का नया दौर शुरू किया जा सके । तालिबान ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह अफगानिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व से ईद-उल-अजहा के बाद बात करने को तैयार है, बशर्तें तब तक तालिबान कैदियों की रिहाई हो जाए।
खलीलजाद के इस्लामाबाद और काबुल का दौरा करने की उम्मीद है। वह कतर भी जाएंगे जहां पर तालिबान का राजनीतिक कार्यालय है। ईद-उल-अजहा (बकरीद) से पहले तालिबान के नेता हिबातुल्ला अखूनजादा ने कहा कि विद्रोही अफगानिस्तान में भविष्य में बनने वाले राजनीतिक स्वरूप में एकछत्र सत्ता नहीं चाहते।
अपने एक लंबे संदेश में अखूनजादा ने कहा कि तालिबान अफगानिस्तान में इस्लामी सरकार स्थापित करना चाहता है, लेकिन उसने यह स्पष्ट नहीं किया कि पहले से यह अलग कैसे होगा। अखूनजादा ने कहा कि तालिबान सभी को शिक्षा देने का समर्थन करेगा और फरवरी में अमेरिका के साथ हुए शांति समझौते को लेकर प्रतिबद्ध है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते को दो दशक से जारी युद्ध के समाप्त होने की उम्मीद के रूप में देखा जा रहा है। इस बीच, अमेरिका और नाटो अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की तैनाती में कमी शुरू कर दी है। हालांकि, समझौते के दूसरे चरण में देरी हुई है जिसके तहत तालिबान और काबुल के राजनीतिक नेतृत्व के बीच बातचीत का आह्वान किया गया था। इस देरी की वजह तालिबान कैदियों की रिहाई के प्रति अफगान सरकार की अनिच्छा है जिसकी सहमति समझौते में बनी है।
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