वाशिंगटन (Washington) । धरती से कोसों दूर चांद (Moon) पर अब पहली वाणिज्यिक लैंडिंग हो गई है। अमेरिकी कंपनी इंटुएटिव मशीन्स (American company Intuitive Machines) ने यह चमत्कार किया है। इंटुएटिव मशीन्स का नोवा-सी लैंडर (Nova-C Lander) चांद पर पहुंचा है, जिसके रॉकेट का नाम ओडीसियस अंतरिक्ष यान है। इंटुएटिव मशीन्स चंद्रमा पर लैंडिंग करने वाली वाणिज्यिक कंपनी बन गई है। गौरतलब है कि यह भारत के चंद्रयान-3 के बाद चांद की सतह पर पहुंचा है।
चांद पर पहुंचा चंद्रयान-3
पिछले साल 23 अगस्त को भारत चांद की सतह पर पहुंचा था। यह करिश्मा इसरो के चंद्रयान-3 के तहत हो सका था। चांद की सतह पर पहुंचने वाला भारत विश्व का चौथा देश बन गया है। वहीं, भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश हैं, विशेषज्ञों की मानें तो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचना आम तौर पर कठिन है। हालांकि, भारत ने दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचकर कीर्तिमान रच दिया है।
2019 के चंद्रयान-2 मिशन से सबक लिया
चंद्रयान-3 से पहले 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था। यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करने वाला किसी भी देश का पहला अंतरिक्ष मिशन था। हालांकि, चंद्रयान-2 मिशन का विक्रम चंद्र लैंडर छह सितंबर 2019 को चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसरो के वैज्ञानिकों ने मिशन से भी काफी कुछ सीखा। इसरो के प्रमुख एस. सोमनाथ कहते हैं कि 2019 का मिशन चंद्रयान-2 आंशिक सफल था, लेकिन इससे मिले अनुभव इसरो के चंद्रमा पर लैंडर उतारने के लिए नए प्रयास में काफी उपयोगी साबित हुए। इसके तहत चंद्रयान-3 में कई बदलाव किए गए। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए। एल्गोरिदम को बेहतर किया गया। जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह पर नहीं उतर पाया था, उन पर फोकस किया गया।
Your order was delivered… to the Moon! 📦@Int_Machines' uncrewed lunar lander landed at 6:23pm ET (2323 UTC), bringing NASA science to the Moon's surface. These instruments will prepare us for future human exploration of the Moon under #Artemis. pic.twitter.com/sS0poiWxrU
— NASA (@NASA) February 22, 2024
लैंडर में पांच की जगह चार इंजन लगाए गए
चंद्रयान-2 के लैंडर में पांच इंजन लगे थे जबकि इस बार भार कम करने के लिए चंद्रयान-3 में चार इंजन लगाए गए थे। चंद्रयान-3 में लेजर डॉपलर वेलोसिमिट्री के साथ चार इंजन लगाए गए जिसका उद्देश्य था कि वह चंद्रमा पर उतरने के सभी चरणों में अपनी ऊंचाई और अभिविन्यास को नियंत्रित कर सके। चंद्रयान-3 में किसी भी अप्रत्याशित प्रभाव से निपटने के लिए पैरों को मजबूत किया गया था। इसके साथ अधिक उपकरण, अपडेटेड सॉफ्टवेयर और एक बड़ा ईंधन टैंक लगाए गए। ऐसा इसलिए किया गया था कि यदि अंतिम मिनट में कोई बदलाव भी करना पड़ा तो ये उपकरण उस स्थिति में महत्वपूर्ण हो सकें।
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