एशिया में चीन की दादागिरी होगी खत्म
जकार्ता। अमेरिका ने चीन को पटखनी देने के लिए एशिया में रणनीतिक घेराबंदी को तेज कर दिया है। अमेरिकी ताकत का प्रतीक कहे जाने वाले उसके 20 एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर कैरियर्स में से तीन लगातार एशिया के अलग अलग इलाकों में गश्त लगा रहे हैं। इसी कड़ी में हिंद महासागर में चीन की घुसपैठ को रोकने के लिए अमेरिका का निमित्ज क्लास का एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस रोनाल्ड रीगन अंडमान के पास पहुंचा है। परमाणु शक्ति से चलने वाले इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर अमेरिका ने 90 घातक लड़ाकू विमान और 3000 से ज्यादा मरीन तैनात हैं।
हिंद महासागर में ताकत बढ़ा रहा अमेरिका
ओपन सोर्स इंटेलिजेंस @detresfa_ ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि मलक्का जलडमरूमध्य के पास इस एयरक्राफ्ट कैरियर को कुछ समय पहले देखा गया है। माना जा रहा है कि यह हिंद महासागर में स्थित अमेरिकी नेवल बेस डिएगो गार्सिया भी जाएगाा। अमेरिका ने हाल में ही यहां बी-2 बॉम्बर को भी तैनात किया है। इस क्षेत्र में अपनी सामरिक ताकत को बढ़ाकर अमेरिका चीन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।
एशिया में अमेरिका के तीन एयरक्राफ्ट कैरियर तैनात
हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका ने अपने तीन एयरक्राफ्ट कैरियर्स को इस इलाके में तैनात किया है। इनमें से एक यूएएसएस थियोडोर रुजवेल्ट फिलीपीन सागर में जबकि दूसरा खाड़ी देशों के पास गश्त लगा रहा है। वहीं अमेरिका के आक्रामक गतिविधियों से बौखलाया चीन बार-बार युद्ध की धमकी दे रहा है।
कितना शक्तिशाली है यूएसएस रोनाल्ड रीगन
अमेरिका के सुपरकैरियर्स में यूएसएस रोनाल्ड रीगन को बहुत ताकतवर माना जाता है। परमाणु शक्ति से चलने वाले इस एयरक्राफ्ट कैरियर को अमेरिकी नौसेना में 12 जुलाई 2003 को कमीशन किया गया था। जापान का योकोसुका नेवल बेस इस एयरक्राफ्ट कैरियर का होमबेस है। यह कैरियर स्टाइक ग्रुप 11 का अंग जो अकेले अपने दम पर कई देशों को बर्बाद करने की ताकत रखता है। 332 मीटर लंबे इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर 90 लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर्स के अलावा 3000 के आसपास नौसैनिक तैनात होते हैं।
कभी भारत के खिलाफ जंग को पहुंचा था अमेरिका का 7वां बेड़ा
एयरक्राफ्ट कैरियर यूएएस निमित्स अमेरिका के सातवें बेड़े में शामिल है। यह बेड़ा 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध (बांग्लादेश मुक्ति संग्राम) के दौरान बंगाल की खाड़ी के नजदीक पहुंच गया था। इसका मकसद बांग्लादेश में (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) मात खा रहे पाकिस्तानी सेना का सहायता करना था। लेकिन उस समय भारत के साथ रूस मजबूती के साथ खड़ा हो गया। जिसके कारण अमेरिका का सातवां बेड़ा वापस लौट गया।
हिंद महासागर में चीन को घेरने से ये फायदा
भारत के साथ अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया हिंद महासागर में चीन को घेरने के लिए तैयार बैठे हैं। अगर अब ड्रैगन ने कोई भी हिमाकत की तो उसका अंजाम उसे भुगतना पड़ेगा। चीन के व्यापार का बड़ा हिस्सा हिंद महासागर के जरिए ही खाड़ी और अफ्रीकी देशों में जाता है। जबकि, चीन अपने ऊर्जा जरुरतों का बड़ा आयात इसी रास्ते करता है। अगर भारतीय नौसेना ने इस रूट को ब्लाक कर दिया तो चीन को तेल समेत कई चीजों के लिए किल्लत झेलनी होगी। अभी चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर भी पूरा नहीं हुआ है ऐसे में चीन इस रास्ते भी कोई आयात-निर्यात नहीं कर सकता।
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