वाशिंगटन: अमेरिका ने ऐलान किया है कि वह सऊदी अरब को फिर से आक्रामक हथियार बेचना शुरू करेगा. खबर के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन ने तय किया है कि कुछ साल पहले यमन पर सऊदी की आक्रामक कार्रवाई के बाद बंद हुई हथियारों की आपूर्ति वह फिर से शुरू करेंगे.
तीन साल पहले बंद हुई हथियार आपूर्ति के बाद दोनों देशों के रिश्तों में दूरी आई है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि डील को फिर से शुरू करने के लिए सऊदी अरब ने अपने हिस्से का काम पूरा कर लिया है और हम अपने हिस्से को पूरा करने के लिए तैयार हैं. यहां गौर करने वाली बात है कि जिस यमन पर हमलों के चलते अमेरिका ने सऊदी से ये डील खत्म की थी, उसी यमन पर अब अमेरिका हमले कर रहा है.
विदेश विभाग के प्रवक्ता ने मीडिया से कहा, सऊदी अरब अमेरिका का करीबी रणनीतिक साझेदार बना हुआ है और हम इस साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं. माना जाता है कि अमेरिका ने रियाद और सना के बीच समझौता कराने के लिए आक्रामक निर्यात पर रोक लगाई थी. हालांकि, यमनी सरकार ने अमेरिका पर सऊदी और यमन के बीच शांति समझौते को खत्म करने की कोशिश करने के इल्जाम लगाए हैं.
इस पूरी डील को फिर शुरू होने में गाजा तनाव भी मुख्य कारण है. जिसकी वजह से यमन के हूती लगातार अमेरिका और इजराइल से जुड़े जहाजों को निशाना बना रहे हैं. हूती विद्रोहियों को रोकने के लिए अमेरिका ने एक संगठित सेना बनाकर हमले करने शुरू किए हैं. अमेरिका चाहता है कि सऊदी भी इस संगठन का हिस्सा बने या हूतियों को रोकने के लिए कदम उठाए, लेकिन सऊदी ऐसा करने से बचता रहा है.
तीन साल पहले अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने सऊदी की यमन पर कार्रवाई की निंदा की थी और इसको मानव अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करार दिया था. अब यही बाइडेन प्रशासन यमन पर अपना आक्रमण शुरू किए हुए है. अमेरिका ने हूती से तनाव के बाद से अब तक 135 से ज्यादा टॉमहॉक मिसाइलें यमन पर दागी हैं और 7 हवाई हमले किए हैं, एक अनुमान के मुताबिक इन हमलों को करने के लिए कम से कम 420 मिसाइलों और बमों का इस्तेमाल किया गया जा चुका है.
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