वाशिगटन (washington)। दुनिया पर जिस तरह से युद्धों को खतरा मंडरा रहा है. अमेरिका (US) जैसा बड़ा देश और ज्यादा असुरक्षित होता जा रहा है. इतना ही नहीं नई तकनीकें अब अंतरिक्ष में खतरे और असुरक्षा पैदा कर रही हैं. इसी को देखते हुए अमेरिका की सैन्य शाखा कक्षा में युद्ध अभ्यास आयोजित करने जा रही है. स्पेस सिस्टम कमांड (SSC) इस तरह का पहला आयोजन कर इतिहास रचेगी. इसका मकसद अमिरकी सेना को पृथ्वी के बाहर होने वाले संभावित संघर्षों के लिए तैयार करना है.
यूनाइटेड स्टेट्स स्पेस फोर्स (USSF) ने एडवांस मिसाइल डिफेंस कॉन्स्टीलेशन के लिए पहला सैटेलाइट बनाने का आदेश दे दिया है. अब स्पेस फोर्स की स्पेस डेवलपमेंट एजेंसी (SDA) इस सैटेलाइट को बनाने में लग गई है. यह एजेंसी ऐसा सैटेलाइट बनाएगी, जो अंतरिक्ष से दुनिया भर की हाइपरसोनिक मिसाइलों की उड़ान पर नजर रखेगी. एजेंसी ने कैलिफोर्निया की मिलेनियम स्पेस सिस्टम कंपनी को 414 मिलियन डॉलर यानी 3456 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट दिया है.
FOO Fighter प्रोग्राम के बारे में ज्यादा जानकारी शेयर तो नहीं की गई है लेकिन यह जरूर बताया है कि जरूरत पड़ने पर अंतरिक्ष से ही किसी भी मिसाइल को नष्ट करने की क्षमता भी होगी. यानी फायर कंट्रोल इन सपोर्ट मैकेनिज्म. इस सैटेलाइट में राडार और इंफ्रारेड सेंसर्स लगे होंगे, जो सीधे मिसाइल के कंप्यूटर या रेंज्ड वेपन को इंटरसेप्ट करेंगे. इससे मिसाइल की गति, दिशा और संभावित टारगेट का पता चलेगा.
इससे तुरंत टारगेट देश को सूचना देकर उससे मिसाइल बचाव प्रणाली एक्टिव करने को कहा जा सकता है. साथ ही अंतरिक्ष से ही इन मिसाइलों को रोकने का प्रयास किया जा सकता है. SDA के डायरेक्टर डेरेक टोर्नियर ने कहा कि ये सैटेलाइट्स प्रोलीफिरेटेड वॉरफाइटर स्पेस आर्किटेक्चर (PWSA) के तहत बनाए जा रहे हैं.
डेरेक ने बताया कि FOO Fighter सैटेलाइट अंतरिक्ष से ही मिसाइलों को ट्रैक करेंगे. मिसाइल वॉर्निंग देंगे. मिसाइल डिफेंस सिस्टम को एक्टिव करेंगे. इसलिए यह पूरी दुनिया को खतरों से बचाएंगे
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