अहमदाबाद। अमेरिका के रक्षा विभाग(US Department of Defense) ने द्वितीय विश्व युद्ध (second World War) के दौरान भारत (India) में लापता हुए अपने 400 से अधिक सैनिकों के अवशेषों को खोजने के प्रयास तेज कर दिए हैं, जिसके लिए उसने गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) के साथ हाथ मिलाया है। NFSU के विशेषज्ञ अमेरिका के रक्षा विभाग(US Department of Defense) के तहत काम करने वाले एक अन्य संगठन डीपीएए(DPAA) की मदद करेंगे। डीपीएए(DPAA) ऐसा संगठन है जोकि युद्ध के दौरान लापता और बंदी बनाए(Missing and imprisoned during war) गए सैनिकों का लेखा-जोखा रखता है।
NFSU में DPAA की मिशन परियोजना प्रबंधक डॉ. गार्गी जानी ने कहा, ‘अमेरिका के लापता सैनिकों के अवशेषों को खोजने में हर संभव मदद की जाएगी।’ एजेंसी की टीमें द्वितीय विश्व युद्ध, कोरियाई युद्ध, वियतनाम युद्ध, शीत युद्ध और इराक और फारस के खाड़ी युद्धों सहित अमेरिका के पिछले संघर्षों के दौरान लापता हुए सैनिकों के अवशेषों का पता लगाकर उनकी पहचान कर उन्हें वापस लाने की कोशिश करेंगी।
उन्होंने कहा, ‘द्वितीय विश्व युद्ध, कोरियाई युद्ध, वियतनाम युद्ध और शीत युद्ध के दौरान अमेरिका के 81,800 सैनिक लापता हुए हैं, जिनमें से 400 भारत में लापता हुए थे।’ डॉ. गार्गी ने कहा कि एनएफएसयू डीपीएए को उनके मिशन में वैज्ञानिक और लॉजिस्टिक रूप से हर संभव मदद करेगा।
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