शंघाई। अमेरिका ने कुछ एडवांस किस्म की चिप्स को चीन को एक्सपोर्ट किए जाने पर रोक लगा दी है। इससे चीन की कई दिग्गज कंपनियों को बड़ा झटका लग सकता है, जो पब्लिक क्लाउड और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सेक्टर में काम करती हैं। चिप डिजाइनिंग कंपनी Nvidia कॉरपोरेशन ने बुधवार को बताया कि अमेरिकी अधिकारियों की ओर से कहा गया है कि चीन को दो टॉप कंप्यूटिंग चिप्स का एक्सपोर्ट रोक दिया जाए। इन चिप्स का इस्तेमाल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के काम से जुड़ी डिवाइसेज में किया जाता है। इसके अलावा एडवांस्ड माइक्रो डिवाइसेज कंपनी ने भी बताया कि उसे नियमों के तहत अलग ढंग से लाइसेंस के आवेदन का लाइसेंस मिला है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समेत कई तकनीकों में लगेगा झटका
ऐसा करने पर वह चीन को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चिप MI250 का निर्यात नहीं कर पाएगी। अमेरिकी प्रशासन के फैसले पर चीन ने कड़ी आपत्ति भी जाहिर की है। चीनी वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता शू जुएटिंग ने कहा कि अमेरिका का यह फैसला चीनी कंपनियों के अधिकारों को नजरअंदाज करने वाला है। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित होगी। साफ है कि अमेरिका के इस फैसले से चिप टेक्नोलॉजी की दुनिया में टकराव और तेज हो जाएगा। अमेरिका की एक फाइनेंस और स्ट्रेटजी कंसल्टिंग फर्म के जे गोल्डबर्ग ने बताया, ‘हम अमेरिका की कुछ कंपनियों को चीन की फर्मों को चिप सप्लाई करने से रोकना चाहते हैं। ऐसा ही फैसला अमेरिका ने हुवावे को लेकर किया था।’
अलीबाबा समेत कई कंपनियों पर पड़ेगा असर
एक एनालिस्ट ने कहा कि यह संकट और गहरा सकता है। दरअसल अमेरिका की ओर से ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग और सैमसंग पर भी चीन के लिए चिप्स बनाने पर रोक लगाई जा सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका का यह फैसला चीन को बुरी तरह चिढ़ा सकता है और दोनों देशों के बीच संबंध और निचले स्तर पर जा सकते हैं। मार्केट की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि अमेरिकी बैन से चीन की दिग्गज कंपनियों अलीबाबा, टेनसेंट, बाइडू और हुवावे को झटका लग सकता है। फिलहाल चीन की दिग्गज कंपनियों की ओर से अमेरिकी सरकार के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
पिछले महीने अमेरिका और चीन में चरम पर पहुंच गया था तनाव
गौरतलब है कि बीते कुछ सालों से अमेरिका और चीन के बीच तकनीक, बिजनेस से लेकर राजनीतिक क्षेत्र में तनाव देखने को मिला है। पिछले महीने अमेरिकी संसद की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया था और इसे लेकर दोनों देशों के बीच गहरा तनाव पैदा हो गया था। यहां तक कि चीन ने बड़े पैमाने पर ताइवान की समुद्री सीमा के करीब बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर दी थी।
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