डेस्क: अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव में दो दिन से भी कम का समय बचा है और देश की 50 फीसद से ज्यादा आबादी अर्ली वोटिंग के जरिए अपना वोट भी डाल चुकी है. फाइव थर्टी एइट के सर्वे के मुताबिक, उप राष्ट्रपति कमला हैरिस 1.2 अंकों की बढ़त बनाए हुए हैं. लेकिन इतना कम मार्जिन पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए बेहद आसान लगने लगा है, क्योंकि वे सर्वे दर सर्वे अपने प्रदर्शन में सुधार करते जा रहे हैं.
कांटे की लड़ाई में थोड़े वोट भी बड़ा असर डाल सकते हैं, ऐसे में कमला हैरिस की नजर भारतीय समुदाय के लोगों पर टिकी हैं. उन्होंने दिवाली मनाते हुए अपने भारत से जुड़े किस्से भी सुनाए, वह अपने प्रचार के दौरान भारतीय को लुभाने में लगी हैं. हालांकि कमला के लिए ये इतना आसान नहीं है, हाल ही में भारत को लेकर लिए गए बाइडेन प्रशासन के कुछ फैसले कमला हैरिस पर भारी पड़ सकते हैं.
अमेरिका ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस का साथ देने के कथित आरोप में करीब 400 संस्थाओं और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें भारत की भी 19 कंपनियां शामिल है. इससे पहले भी अमेरिका ने भारत के खिलाफ कनाडा के आरोपों पर सुर-से-सुर मिलाए थे. चुनाव से पहले बाइडेन प्रशासन का ये कदम भारतीय समुदाय को डेमोक्रेट उम्मीदवार से दूर सर सकता है, जिसका सीधा असर कमला हेरिस के राष्ट्रपति बनने के सपने पर पड़ेगा.
भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के कुछ घंटों बाद ही भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, ‘हमने अमेरिकी प्रतिबंधों पर रिपोर्ट देखी है. भारत के पास रणनीतिक व्यापार और अप्रसार (nonproliferation) नियंत्रण पर एक मजबूत कानूनी और नियामक ढांचा है. हम तीन प्रमुख बहुपक्षीय अप्रसार निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं – वासेनार एग्रीमेंट, ऑस्ट्रेलिया ग्रुप और मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था के सदस्य भी हैं और परमाणु हथियारों के तेज प्रसार को रोकने के लिए UNSC प्रतिबंधों और UNSC रिज्योलूशन 1540 को प्रभावी ढंग से लागू कर रहे हैं.’
भारत ने आगे कहा हमारे हिसाब से प्रतिबंधित लेन-देन और कंपनियां भारतीय कानूनों का उल्लंघन नहीं करती हैं. फिर भी हम सभी कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि हथियारों के प्रसार को रोका जा सके.
चुनावों से डेमोक्रेट राष्ट्रपति प्रशासन के ऐसे बयान और फैसले भारतीयों के दिलों असंतोष फैला सकते हैं, जिसका सीधे असर डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस पर पड़ेगा. जो इस समय डोनाल्ड ट्रंप के सामने कमजोर होती जा रही हैं. वैसे तो भारतीय मूल के वोट पूरे अमेरिका में 2 फीसद से भी कम हैं, लेकिन स्विंग स्टेट्स और कांटे की टक्कर वाले मुकाबले में इनके अहमियत बेहद बढ़ गई है. अब देखना होगा क्या भारतीय मूल के वोटर्स अमेरिका के भारत के खिलाफ एक्शन पर डेमोक्रेट उम्मीदवार का साथ छोड़ते हैं या नहीं.
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