नई दिल्ली: यूक्रेन के साथ युद्ध (war with ukraine) के बाद से ही रूस अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों (western countries) के आर्थिक प्रतिबंध झेल रहा है. इसी बीच रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका (America) ने एक ऐसा फैसला किया है जो पाकिस्तान को काफी फायदा पहुंचाने वाला है. बता दे की, अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि, अमेरिका ने निम्न और मध्यम आय वर्ग (low and middle income group) वाले देशों के लिए बाजार में रूस के तेल की उपलब्धता बनाए रखने का फैसला किया है. और इसका फायदा पाकिस्तान को भी मिलेगा.
हाल ही में आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को अमेरिका ने एफ-16 फ्लीट के रखरखाव के नाम पर 450 मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता की थी. जिसके बाद अमेरिका का यह फैसला भी पाकिस्तान को खुश कर देगा. हालांकि, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने साफ करते हुए कहा कि अमेरिका का यह फैसला रूस पर लगे प्रतिबंधों को कमजोर करने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.
इससे पहले भी कहा गया था कि, अमेरिका ने पाकिस्तान को कुछ समय के लिए रूस से कम कीमतों पर कच्चा तेल खरीदने की इजाजत दी है. हालांकि, रूस से पाकिस्तान किस मैकेनिजम के तहत तेल आयात करेगा, इसे लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी. अमेरिकी सरकार की ओर से भी इसे लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई.
अमेरिकी प्रवक्ता ने डॉन से बात करते हुए कहा कि अगर अमेरिका चाहता तो रूस पर तेल, एलएनजी गैस और कोल आयात पर प्रतिबंध लगा सकता था, लेकिन बाइडेन प्रशासन को यह पता है कि सभी देशों के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं है. अमेरिकी प्रवक्ता ने बताया कि जहां एक ओर अमेरिका ने ऊर्जा संबंधित सभी आयात पर रोक लगा दी है, वहीं अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने ऊर्जा क्षेत्र में प्रतिबंधित संस्थाओं से लेनदेन अधिकृत करने के लिए लाइसेंस जारी किए हैं.
अमेरिकी प्रवक्ता ने आगे कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों का लक्ष्य वैश्विक बाजार में रूसी तेल को छोटे और कम आय वाले देशों के लिए उपलब्ध रखना है, जिससे कीमतें स्थिर रहें. उन्होंने कहा कि पहले से ही कोरोना काल में तेल की कीमतों में उछाल है, ऐसे में इस फैसले से छोटे देशों को मदद जरूर मिलेगी.
जहां कथित तौर पर अमेरिका ने पाकिस्तान को रूस से तेल आयात करने पर राहत दी है, वहीं यूक्रेन पर रूसी हमले के बीच भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर कई बार नाराजगी जाहिर कर चुका है. भारत ने भी कई बार अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि भारतीय महंगा तेल नहीं खरीद सकते हैं और उसे जहां से भी सस्ता तेल मिलेगा, खरीदेगा.
हाल ही में जी-7 समिट में रूस के तेल पर प्राइस कैप लगाने का प्रस्ताव लाया गया था. अमेरिकी प्रवक्ता ने डॉन से बातचीत में इसे एक बड़ा कदम बताया है. हालांकि, रूस ने पहले इस बारे में साफ कह दिया था कि अगर जी-7 के प्रस्ताव में तेल की कीमतें उचित नहीं होंगी तो वह अपनी तेल की सप्लाई रोक देगा.
दरअसल, जी-7 जिन देशों का समूह है, वे सभी धनी और संपन्न देश हैं. इन देशों में अमेरिका, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और कनाडा शामिल हैं. जी-7 की कोशिश है कि रूस के तेल के दामों पर प्राइस कैप लगा दिया जाए, यानी एक दाम तय किया जा सके, जिससे रूस अपने तेल की कीमत को कंडीशन के अनुसार महंगा या सस्ता ना कर पाए. जी-7 की इस योजना का यूरोपियन संघ ने भी समर्थन किया है.
वहीं अमेरिकी प्रवक्ता ने आगे बताया कि 9 सितंबर को अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने रूस के कच्चे तेल और पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स के लिए समुद्री परिवहन पर रोक लगाने को लेकर गाइडेंस जारी की है. गाइडेंस में बताया गया है कि जी-7, ईयू और अमेरिका मिलकर इस पॉलिसी को लागू करेंगे, जिसके अंदर समुद्री परिवहन से जुड़ी कई सेवाएं शामिल होंगी.
मालूम हो कि दुनिया में पाकिस्तान पेट्रोल का 35वें नंबर का सबसे बड़े आयातक है. साल 2020-21 में ही पाकिस्तान ने 1.92 बिलियन डॉलर का तेल आयात किया है. भारत की तरह रूस से पाकिस्तान भी सस्ता तेल ले रहा है. ऐसे में अमेरिका के इस फैसले के बाद से पाकिस्तान रूस से तेल लेने में सक्षम रहेगा, जिसका आर्थिक फायदा पाकिस्तान को मिलेगा.
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