नई दिल्ली । अमेरिका और चीन(America and China) के बीच जारी तीव्र व्यापार युद्ध(intense trade war) को लेकर उम्मीद की एक किरण तब दिखी जब अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट(US Treasury Secretary Scott Bessant) ने बुधवार को कहा कि दोनों देशों के बीच मौजूदा उच्च शुल्क दरें (टैरिफ्स) टिकाऊ नहीं हैं और इन्हें कम करना होगा ताकि व्यापार वार्ताएं आगे बढ़ सकें। बेसेंट ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “चीन पर 145% और अमेरिका पर 125% तक के टैरिफ्स किसी भी तरह से लंबे समय तक नहीं चल सकते। यह वस्तुतः एक व्यापार प्रतिबंध जैसा है और इस तरह का विभाजन किसी के हित में नहीं है।”
हालांकि व्हाइट हाउस की ओर से अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। सूत्रों के अनुसार ट्रंप प्रशासन चीन पर लगाए गए टैरिफ को 50% तक घटाने पर विचार कर रहा है, बशर्ते चीन भी जवाबी रियायत दे। प्रेसिडेंट ट्रंप ने कहा, “हम चीन के साथ निष्पक्ष समझौता करेंगे” लेकिन उन्होंने कोई ठोस योजना साझा नहीं की।
बाजार में उम्मीद की लहर
इस संभावित नरमी के संकेत के बाद अमेरिकी शेयर बाजारों में उछाल देखा गया। S&P 500 में 1.67% की तेजी आई और यह 5,375.86 पर बंद हुआ। हालांकि यह अभी भी फरवरी की रिकॉर्ड ऊंचाई से 12% नीचे है।
व्यापार और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
जर्मन शिपिंग कंपनी हैपग-लॉयड ने बताया कि अमेरिका के लिए चीन से आने वाले 30% शिपमेंट्स रद्द कर दिए गए हैं। IMF और S&P ग्लोबल ने चेतावनी दी है कि इस व्यापार युद्ध से वैश्विक विकास दर धीमी हो सकती है और महंगाई बढ़ सकती है।
घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दबाव
अमेरिका के 12 राज्यों, जिनमें न्यूयॉर्क, एरिज़ोना और इलिनॉय शामिल हैं, ने ट्रंप प्रशासन के टैरिफ्स के खिलाफ कानूनी चुनौती दी है। यूरोपीय यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि 9 जुलाई तक कोई समझौता नहीं हुआ, तो वे जवाबी शुल्क लगाएंगे। वियतनाम, जर्मनी और अन्य देश भी अमेरिका से वार्ता कर रहे हैं।
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