बीजिंग (Beijing)। चीन (China) ने अमेरिका (America) की आलोचना (criticized) की है। अरुणाचल मुद्दे (Arunachal issues) पर अमेरिका (America) के बयान के बाद चीनी सेना (Chinese army) ने पलटवार किया। भारत के साथ संबंध पर भी बयान सामने आया है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (line of actual control- LAC) से जुड़े मुद्दों पर टकराव के बाद लंबे समय से भारत और चीन के रिश्तों (India China Relations) को सामान्य बनाने के प्रयास जारी हैं। दोनों देशों के शीर्ष राजनयिकों की 29वें दौर की बैठक समाप्त हुई है, लेकिन नियमित संपर्क की सहमति पर सफलता के संकेत नहीं मिल रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों के एक अहम घटनाक्रम में चीनी सेना ने अमेरिका की आलोचना की। अमेरिका ने कहा था कि अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) भारत का हिस्सा है। अमेरिका के मुताबिक दोनों देशों के पास बातचीत और परामर्श के माध्यम से सीमा मुद्दे को सुलझाने के पर्याप्त साधन हैं। चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सीनियर कर्नल वू कियान ने गुरुवार को कहा, अपने स्वार्थ के लिए दूसरे देशों के बीच विवाद भड़काने का अमेरिका का रिकॉर्ड बहुत खराब है। उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे स्पष्ट रूप से देखता है कि वॉशिंगटन अरुणाचल प्रदेश को भारतीय क्षेत्र के रूप में मान्यता देता है। कर्नल वू कियान के मुताबिक सीमा मुद्दों पर बातचीत के लिए चीन और भारत के बीच परिपक्व चैनल है।
चीन की प्रतिक्रिया 9 मार्च को अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल के बयान पर प्रतिक्रिया है। पटेल ने कहा था कि अमेरिका अरुणाचल प्रदेश को भारतीय क्षेत्र के रूप में मान्यता देता है। उन्होंने कहा था, ‘हम वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य या नागरिक, घुसपैठ या अतिक्रमण या क्षेत्रीय दावों को आगे बढ़ाने के किसी भी एकतरफा प्रयास का दृढ़ता से विरोध करते हैं।’
दोनों देशों के बीच संपर्क पर सहमति लेकिन तत्काल सफलता के संकेत नहीं
अमेरिका के बयान से इतर भारत और चीन के बीच रिश्तों के एक अहम घटनाक्रम में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चार साल से जारी सीमा विवाद के बीच भारत व चीन के शीर्ष राजनयिकों के बीच 29वें दौर की बैठक में नियमित संपर्क बनाए रखने पर सहमति बनी, लेकिन किसी भी सफलता का कोई संकेत नहीं मिला। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच एलएसी के करीब मौजूद सैनिकों की पूर्ण वापसी व एलएसी के शेष मुद्दों को कैसे हल किया जाए इस पर विचारों का गहन आदान-प्रदान किया। रिपोर्ट के मुताबिक दोनों देशों की मुख्य बैठक 27 मार्च को बीजिंग में हुई।
सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना जरूरी
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श व समन्वय के कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 29वीं बैठक 27 मार्च को बीजिंग में हुई। मंत्रालय के मुताबिक दोनों पक्ष ने स्वीकार किया कि मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना जरूरी है।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल की कमान गौरांगलाल दास के हाथ
चीनी विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, दोनों पक्ष चीन-भारत सीमा क्षेत्र में स्थिति के प्रबंधन और नियंत्रण में हुई प्रगति का सकारात्मक मूल्यांकन किया। हमारे बीच अगले दौर की बैठक के लिए विचारों का स्पष्ट और गहन आदान-प्रदान किया। विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व गौरांगलाल दास ने किया। चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व चीन के विदेश मंत्रालय के सीमा और महासागरीय विभाग के महानिदेशक हॉन्ग लियांग ने किया। दोनों देशों के विदेश मामलों, रक्षा, आव्रजन और अन्य विभागों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
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