मनीला । अमेरिका (America) ने फिलीपींस (Philippines) में तैनात मिसाइल सिस्टम (Missile Systems) को हटाने से इनकार कर दिया है। चीन (China) ने मांग की थी कि इलाके में बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका को फिलीपींस में तैनात मिसाइल सिस्टम हटा देना चाहिए। इस पर अमेरिका ने कहा है कि उसने फिलीपींस में तैनात मध्यम दूरी के मिसाइल सिस्टम को तत्काल वापस लेने की कोई योजना नहीं बनाई है। इसके उलट अमेरिकी सेना युद्ध की स्थिति में उस मिसाइल सिस्टम की तैनाती का परीक्षण कर रही है। अमेरिका के इस फैसले को चीन के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है। चीन और फिलिपींस में दक्षिण चीन सागर के द्वीपों को लेकर पुराना विवाद है।
अमेरिका ने तैनात किया है टाइफॉन सिस्टम
अमेरिका ने फिलीपींस में टाइफॉन मिसाइल सिस्टम तैनात किया हुआ है। यह सिस्टम चीनी लक्ष्यों पर क्रूज मिसाइलों से हमला कर सकता है। इस साल की शुरुआत में ही टाइफन मिसाइल सिस्टम को संयुक्त अभ्यास के लिए फिलीपींस लाया गया था, लेकिन यह अब भी वहीं है। हालांकि, इस सिस्टम का कंट्रोल फिलीपींस में मौजूद अमेरिकी सेना के हाथों में है। फिलीपींस एक दक्षिण पूर्वी एशियाई देश है, जो ताइवान का पड़ोसी है। यह एशिया में अमेरिकी रणनीतिक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। माना जा रहा है कि ताइवान पर चीनी हमले की स्थिति में फिलीपींस अमेरिकी सेना का एक महत्वपूर्ण बेस बनेगा।
चीन और रूस ने की निंदा
चीन और रूस ने इंडो-पैसिफिक में अमेरिकी मिसाइल सिस्टम की तैनाती की निंदा की है। दोनों देशों ने अमेरिका पर एशिया में हथियारों की होड़ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि वह इस सिस्टम को बनाए रखने की योजना को लेकर बहुत चिंतित है। मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “इससे क्षेत्रीय देशों की सुरक्षा को गंभीर खतरा है और भू-राजनीतिक टकराव बढ़ता है।”
चीन से टकराव के बाद अमेरिका ने की तैनाती
अमेरिका ने फिलीपींस में अपने मिसाइल सिस्टम को तब तैनात किया है, जब मेजबान देश का चीन के साथ दक्षिण चीन सागर के कुछ हिस्सों पर टकराव बढ़ गया है। चीन ने फिलीपींस को मिसचीफ रीफ और स्कारबोरो शोल जाने से रोकने की कोशिश की है। इस दौरान दोनों देशों के तट रक्षक बलों के बीच छिटपुट संघर्ष भी हुआ है। चीन हजारों किलोमीटर में फैले दक्षिण चीन सागर के विवादित द्वीपों का सैन्यीकरण कर रहा है। इससे वह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और संसाधन समृद्ध जलमार्ग पर अपना दावा भी मजबूत कर रहा है।
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