वाशिंगटन (Washington)। ईसाई मूल्यों (Christian values) पर आधारित देश अमेरिका (America) के अगले राष्ट्रपति चुनाव (next presidential election) की रेस में शामिल भारतीय मूल (Indian origin) के विवेक जी रामास्वामी (Vivek G Ramaswamy) ने खुद के हिंदू होने का बड़े ही जोरदार तरीके से बचाव किया है। उन्होंने धार्मिक मान्यता से जुड़े एक सवाल का इस ढंग से जवाब दिया है कि अमेरिका से लेकर भारत तक में इसकी चर्चा हो रही है। ट्विटर पर लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं ऐसा दिखावा नहीं करूंगा जो मैं हूं ही नहीं। वैसे भी मैं पादरी प्रमुख के रेस में नहीं हूं। मुझे इस देश का कमांडर इन चीफ बनना है।”
उनकी हिंदू आस्था के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने सबसे पहले समानता बताई कि कैसे वह बाइबल को एक औसत ईसाई से बेहतर जानते हैं। अपने जवाब से उन्होंने उस तर्क को ध्वस्त कर दिया है जो उनके खिलाफ उनके धर्म के आधार पर बनाया जा रहा है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा है, ”ईश्वर साकार है। हम अलग-अलग क्षेत्रों से आते हैं लेकिन एक समान पंथ से बंधे हैं।
आपको बता दें कि शुक्रवार की रात को वह पैट्रिक बेट-डेविड और वैल्यूटेनमेंट टीम के साथ एक विशेष लाइव टाउन हॉल कार्यक्रम में शामिल हुए थे। वह अपनी पार्टी रिपब्लिकन की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने की रेस में शामिल हैं।
क्या भारत विश्व शक्ति के रूप में चीन की जगह ले सकता है?
रामास्वामी से जब यह सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ”उनके पास अपने कुछ साथी उम्मीदवारों की तुलना में विदेश नीति का कम अनुभव है, लेकिन पुतिन और शी जिनपिंग जैसे लोगों के साथ काम करते समय भी वह इसे कमजोरी के रूप में नहीं देखते हैं। व्यापारिक लेन-देन के इतिहास ने उन्हें सच बोलने और अमेरिकी हितों को प्राथमिकता देने के लिए तैयार किया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ी वृद्धि होगी। भारत के साथ साझेदारी चीन के खिलाफ एक अच्छा कदम साबित हो सकता है। रामास्वामी ने युद्ध से बचते हुए उस साझेदारी को मजबूत करने और अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाने के लिए अपनी योजना प्रस्तुत की।
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