वॉशिंगटन। बीते करीब पांच माह से जारी जंग में यूक्रेन की मदद के लिए अमेरिका स्वदेश में निर्मित लड़ाकू विमान भेजने पर विचार कर रहा है। इससे जंग और तेज होने का अंदेशा है। इस जंग के चलते पूरी दुनिया में कई संकट पैदा हो गए हैं। सबसे अहम संकट खाद्यान्न आपूर्ति का है। हालांकि, इस दिशा में दोनों देशों के बीच शुक्रवार को यूएन की मध्यस्थता में बड़ा करार हुआ है। हालांकि, व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने साफ किया है कि यह कदम तत्काल नहीं उठाया जाएगा।
अमेरिका व नाटो देश यूक्रेन की परोक्ष मदद पहले से कर रहे हैं। अब अमेरिका में बने लड़ाकू विमान भेजकर यूक्रेन की ताकत में इजाफा करने पर विचार किया जा रहा है। फिलहाल अमेरिका में निर्मित लड़ाकू विमान भेजने की संभावना पता लगाई जा रही है। यदि अमेरिका ने इसकी इजाजत दी तो रूस इससे और खफा हो सकता है। इस जंग में रूस और यूक्रेन दोनों को अब तक भारी नुकसान झेलना पड़ा है। हालांकि, रूस ने यूक्रेन के कई शहरों पर कब्जा कर लिया है, लेकिन जंग का अंत नजर नहीं आ रहा है।
वैश्विक खाद्य संकट के लिए रूस और यूक्रेन का बड़ा करार
पांच माह से जारी जंग के बीच शुक्रवार को अच्छी खबर यह आई कि रूस और यूक्रेन ने 150 दिन बाद संयुक्त राष्ट्र के मध्यस्थता से ब्लैक सी (काला सागर) से अनाज के निर्यात को बेरोकटक जारी रखने के लिए समझौता किया है। इस डील के रूस अब यूक्रेन के बंदरगाहों से निकलने वाले अनाज भरे जहाजों को नहीं रोकेगा।
माना जा रहा है कि इसके बाद दुनियाभर में बढ़ते खाद्य संकट को टाला जा सकेगा। दोनों देशों के बीच इस समझौते पर तुर्की के डोलमाबाचे पैलेस में हस्ताक्षर हुए। बैठक में संयुक्त राष्ट्र (UN) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और तुर्की के राष्ट्रपति तैयब रजब अर्दोआन भी मौजूद रहे। गुटेरेस ने इस बैठक के बाद कहा कि समझौते के जरिए यूक्रेन से खाद्य सामग्रियों के निर्यात का रास्ता खुल गया है। इससे विकासशील देशों को खाद्य और आर्थिक संकट से निकाला जा सकता है।
अब तक क्यों रुका था निर्यात?
गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच इस साल फरवरी से ही युद्ध जारी है। रूस ने यूक्रेन के कई अहम ठिकानों पर कब्जा कर लिया है। इनमें काला सागर (Black Sea) से जुड़े कई अहम ठिकाने शामिल हैं। इसके अलावा यूक्रेन के कई अहम बंदरगाहों पर भी रूस ने या तो कब्जा कर लिया है या उसकी ओर से हमले जारी हैं। ऐसे में यूक्रेन की तरफ से अनाज के निर्यात पर करीब पांच महीनों से रोक लगी है। इसी गतिरोध को खत्म करने के लिए यूएन और तुर्की ने रूस-यूक्रेन के बीच बातचीत शुरू कराने पर जोर दिया है।
कैसे पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है रूस-यूक्रेन संकट?
रूस की वजह से जो गतिरोध पैदा हुआ है, उसके चलते पूरी दुनिया में खाद्य सामग्रियों की महंगाई दर्ज की गई है। अंतरराष्ट्रीय संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) का फूड प्राइस इंडेक्स, जो कि पूरी दुनिया में खाद्य सामग्रियों की कीमतों को ट्रैक करता है, मार्च में ही अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था। यह ट्रैकर 1990 में ही शुरू हुआ था। यानी पूरे 32 वर्षों में खाद्य सामग्रियों के दाम सबसे ज्यादा रिकॉर्ड किए गए थे।
दुनिया को 24 फीसदी गेहूं मुहैया कराते हैं दोनों देश
रूस और यूक्रेन अनाज निर्यात के मामले में पावरहाउस हैं। इन्हीं दोनों देशों से दुनिया की गेहूं की 24 फीसदी जरूरते पूरी होती हैं। इतना ही नहीं दुनिया की 57 फीसदी सूरजमुखी के तेल की जरूरत भी रूस-यूक्रेन ही पूरी करते हैं। यूएन कॉमट्रेड के मुताबिक, 2016 से 2020 तक यह दोनों देश दुनिया की 14 फीसदी मक्का के निर्यात के लिए भी जिम्मेदार थे। लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद से ही रूस-यूक्रेन निर्यात में बुरी तरह पिछड़ गए हैं और कई देशों में इन खाद्य सामग्रियों की कमी पैदा हो गई है।
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