अमेरिका और भारत (America and India) के बीच संबंधों में लगातार बेहतरी देखने को मिली है. कुछ समय पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का अमेरिका में गर्मजोशी से स्वागत किया गया था. इस दौरान पीएम मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और वाइस प्रेसीडेंट कमला हैरिस (Vice President Kamala Harris) से मुलाकात की थी. रूस से एस-400 मिसाइल के रक्षा सौदा करने के बावजूद अमेरिका )में भारत का दबदबा ऐसा है कि कई अमेरिकी सांसदों ने भारत पर प्रतिबंध ना लगाने की वकालत की है और अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक खास वर्चुएल कॉन्फ्रेंस के लिए 110 देशों की लिस्ट में भारत को भी शामिल किया है.
जो बाइडेन (biden) ने इन सभी देशों को लोकतंत्र के विषय पर एक वर्चुएल सम्मेलन के लिए इंवाइट किया है. उन्होंने इस सम्मेलन के लिए कई पश्चिमी देशों के अलावा इराक, भारत और पाकिस्तान जैसे देशों को भी न्योता भेजा है. हालांकि, इस लिस्ट में चीन का नाम नहीं है लेकिन ताइवान का नाम है. माना जा रहा है कि ताइवान को न्योता भेजे जाने के कदम से चीन नाराज हो सकता है. इसके अलावा, इस लिस्ट में बांग्लादेश, रूस, तुर्की और श्रीलंका का नाम भी शामिल नहीं है.
इसके अलावा, बाइडेन ने ब्राजील को भी न्योता भेजा है. हालांकि, इस देश के राष्ट्रपति दक्षिणपंथी जेर बोल्सोनारो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक रहे हैं. बोल्सोनारो को एमेजॉन के विशालकाय जंगलों को कटवाकर मानवीय गतिविधियां कराने के चलते भी जबरदस्त आलोचना का सामना करना पड़ता रहा है. यूरोप में भी पोलैंड को अमेरिका ने न्योता भेजा है. हालांकि, पिछले कुछ समय से इस देश में ह्यूमन राइट्स रिकॉर्ड्स को लेकर लगातार चिंता जाहिर की जा रही है.
वहीं, अगर अफ्रीका की बात की जाए तो डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, साउथ अफ्रीका, नाइजीरिया और नाइजर जैसे देशों को न्योता भेजा गया है. गौरतलब है कि अगस्त में शिखर सम्मेलन की घोषणा करते हुए व्हाइट हाउस ने कहा था कि इस सम्मेलन में तीन प्रमुख विषयों और पहलों पर बात की जाएगी जिनमें अधिनायकवाद के खिलाफ आवाज उठाना, भ्रष्टाचार से लड़ना और मानवाधिकारों के सम्मान को बढ़ावा देना शामिल है.
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