वॉशिंगटन। दुनियाभर में भारतीय यात्रियों की पहचान ऐसे लोगों की रही है, जो पूरी तैयारी के साथ यात्रा करते हैं। खासकर विदेश यात्रा में तो भारतीय पैसेंजर्स को सबसे ज्यादा तैयारी के साथ चलने वाला माना जाता है। फिर चाहे वह खाने का सामान हो या जरूरत का और या फिर दवाएं।
खासकर अमेरिका जाने वाले भारतीय तो अधिकतर जुकाम-बुखार से लेकर पेट खराब होने तक की दवाएं साथ रखते हैं। हालांकि, अब अमेरिका से एक ऐसा वाकया सामने आया है, जिसके बाद अमेरिका में बिना पर्चे के दवाएं ले जाने वाले यात्रियों को सतर्क हो जाने की जरूरत है।
दरअसल, एक लॉ फर्म की ओर से दावा किया गया है कि उनकी एक क्लाइंट को अमेरिका से सिर्फ इसलिए डिपोर्ट कर दिया गया, क्योंकि उसके पास दवाओं का प्रिस्क्रिप्शन यानी वैध पर्चा नहीं था। सैन फ्रांसिस्को एयरपोर्ट पर उसके पास जॉलफ्रेश और ट्रैमेडॉल दवा के दो स्ट्रिप (पत्ते) पाए गए थे। अमेरिका में यह दोनों ही दवाएं शेड्यूल 4 के तहत कंट्रोल लिस्ट का हिस्सा हैं और इनके लिए प्रिस्क्रिप्शन दिखाना जरूरी है।
बताया गया है कि जिस महिला को इन दवाओं के साथ बिना प्रिस्क्रिप्शन के पकड़ा गया था, उसे वापस अपने देश भेज दिया गया। इतना ही नहीं उसका वीजा भी रद्द कर दिया गया और उसकी अमेरिका यात्रा पर पांच साल का बैन लगा दिया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह महिला एक जाने-माने भारतीय परिवार से है।
अमेरिका जाने वाले भारतीय यात्री मुख्य तौर पर दो वजहों से दवाएं साथ ले जाते हैं।
पहला: अमेरिका में दवाएं भारत के मुकाबले काफी महंगी हैं। हालांकि, जहां अमेरिकियों को इंश्योरेंस की वजह से यह दवाएं सस्ती मिलती हैं, वहीं बाहरी लोगों को यह दवाएं महंगी पड़ती हैं।
दूसरा: भारत के उलट अमेरिका में अधिकतर दवाओं को आसानी से नहीं खरीदा जा सकता। इसके लिए लोगों को पर्चे की जरूरत होती है। अमेरिका के मेडिकल स्टोर्स में भी बिना पर्चे के दवा बेचने को कानून का उल्लंघन माना जाता है।
अमेरिका में दवाओं को लेकर सख्त नियम क्यों?
अमेरिका में दवाओं को लेकर यह नियम सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों पर लागू होते हैं। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए), अमेरिकी कस्टम विभाग और सीमा सुरक्षा के नियमों के अलावा एयरपोर्ट पर लाए गए सामान परिवहन सुरक्षा प्रशासन के अंतर्गत भी आते हैं। इन सभी एजेंसियों की ओर से अलग-अलग सामान को अमेरिका लाने के विभिन्न नियम हैं। लेकिन दवाओं पर एक आम नियम यह है कि बिना अंग्रेजी में लिखे पर्चे के किसी भी यात्री को अमेरिका में नहीं आने दिया जाएगा।
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