वाशिंटन (washington)। अमेरिका (America) की एक मीडिया रिपोर्ट में बड़ा दावा किया गया है। इसके अनुसार, पिछले साल अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीनी सेना के झड़प के दौरान अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी पेंटागन (US security agency Pentagon) ने भारतीय सेना (Indian Army) को महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी दी थी। इसको लेकर जब पत्रकारों ने मंगलवार को सवाल पूछा गया तो व्हाइट हाउस ने इसकी पुष्टि करने से इनकार कर दिया।
प्रेस ब्रीफिंग के दौरान व्हाइट हाउस में रणनीतिक संचार के लिए नियुक्त किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के समन्वयक, जॉन किर्बी ने न तो इनकार किया और न ही रिपोर्ट की पुष्टि की। मीडिया रिपोर्ट के सवाल पर उन्होंने सिर्फ एक लाइन कहा। बोले, ‘नहीं, मैं इसकी पुष्टि नहीं कर सकता।’
सूत्रों के हवाले से इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट की बदौलत ही चीन की सेना को पीछे करने में सफलता हासिल की थी। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पेंटागन द्वारा साझा की गई जानकारी में कार्रवाई योग्य उपग्रह इमेजरी शामिल थी और अमेरिका द्वारा भारतीय सेना के साथ पहले साझा की गई किसी भी जानकारी की तुलना में अधिक विस्तृत और अधिक तेजी से वितरित की गई थी।
2022 की इस घटना के बाद संसद में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बयान आया था। रक्षा मंत्री ने कहा कि नौ दिसंबर 2022 को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांगस्ते एरिया में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर पीएलए ट्रूप्स ने अतिक्रमण कर स्टेटस को एक तरफा बदलने का प्रयास किया। चीन के इस प्रयास का हमारी सेना से दृढता से सामना किया है। इस फेस-ऑफ में हाथापाई भी हुई। भारतीय सेना ने बहादुरी से पीएलए को हमारी टेरिटरी में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें उनकी पोस्ट पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया।’
उन्होंने आगे बताया कि इस झड़प में दोनों ओर के सैनिकों को चोटें भी आई हैं, लेकिन हमारे किसी भी सैनिक की न ही मृत्यु हुई है और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है। इंडियन मिलिट्री कमांडर के टाइमली इंटरवेंशन के कारण पीएलए सोल्जर्स अपनी लोकेशन पर वापस चले गए।
हाल ही में, विदेश मंत्रालय (MEA) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2021-22 में कहा कि चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की यथास्थिति को बदलने के लिए जारी एकतरफा प्रयासों ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित किया है। विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अप्रैल-मई 2020 से पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर यथास्थिति में एकतरफा बदलाव के कई प्रयास किए हैं, जिससे एलएसी पर शांति भंग हुई है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved