नई दिल्ली. अमेरिकी (American) गृह सुरक्षा विभाग (DHS) के एक सीनियर अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि 30 सितंबर को खत्म होने वाले 2023-24 वित्तीय वर्ष (Financial Year) के दौरान, अमेरिका में अवैध रूप (illegal) से रह रहे लगभग 1,100 भारतीय नागरिकों (1100 Indian citizens) को चार्टर और वाणिज्यिक उड़ानों के जरिए भारत वापस लाया गया. एक वर्चुअल ब्रीफिंग में, यूएस डीएचएस के बॉर्डर और आव्रजन नीति के सहायक सचिव रॉयस मरे (Royce Murray) ने 22 अक्टूबर को भारतीय नागरिकों के एक ग्रुप को वापस भेजने वाली चार्टर फ्लाइट से संबंधित एक सवाल के जवाब में कहा कि उस रिमूवल फ्लाइट में “कोई नाबालिग” नहीं था, ये सभी पुरुष और महिला वयस्क थे.
सीनियर अधिकारी ने कहा कि 22 अक्टूबर की चार्टर फ्लाइट को पंजाब में उतार दिया गया. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि फ्लाइट कहां से आई थी या इन निर्वासितों का मूल स्थान क्या था. 22 अक्टूबर को डिपोर्ट किए गए लोगों की तादाद के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने बस इतना कहा कि बड़े पैमाने पर चार्टर फ्लाइट्स में करीब 100 लोगों को निकाला जाना है.
यह घटना अमेरिकी गृह अधिकारियों द्वारा उस देश में अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों के एक समूह को वापस भेजने के ऐलान के कुछ दिनों बाद हुई है. अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों को वापस भेजने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मरे ने कहा कि 30 सितंबर को खत्म होने वाले अमेरिकी वित्तीय वर्ष 2023-24 में करीब 1,100 भारतीय नागरिकों को वापस भेजा गया है. अमेरिकी वित्तीय वर्ष 1 अक्टूबर से शुरू होता है और 30 सितंबर को खत्म होता है.
डीएचएस के बयान में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2024 में, डीएचएस ने 1,60,000 से ज्यादा व्यक्तियों को हटाया या वापस भेजा और भारत सहित 145 से ज्यादा देशों में 495 से ज्यादा इंटरनेशनल प्रत्यावर्तन फ्लाइट्स संचालित कीं. बयान में कहा गया है कि डीएचएस अमेरिकी आव्रजन कानूनों को लागू करता है और अवैध रूप से प्रवेश करने वालों के लिए कठोर परिणाम देता है, वैध रास्तों के उपयोग को प्रोत्साहित करता है.
जून 2024 से, जब सीमा सुरक्षा राष्ट्रपति उद्घोषणा और उसके साथ अंतरिम फाइनल नियम प्रभावी हुए, तब से अमेरिका के साउथवेस्ट बॉर्डर पर एंट्री के बंदरगाहों के बीच मुठभेड़ों में 55 फीसदी की कमी आई है.
22 अक्टूबर को निर्वासन पर यूएस डीएचएस के बॉर्डर और आव्रजन नीति के सहायक सचिव रॉयस मरे ने कहा कि यह एक स्मूथ ऑपरेशन था और इसे भारत सरकार से सहयोग मिला. 26 अक्टूबर को नई दिल्ली में सूत्रों ने कहा था कि यह भारत और अमेरिका के बीच प्रवास और गतिशीलता पर सहयोग का परिणाम था. उन्होंने कहा कि इस सहयोग के हिस्से के रूप में, दोनों पक्ष “अवैध प्रवास को रोकने” की प्रक्रिया में लगे हुए हैं.
ऐसे निर्वासन के पीछे की वजहों पर, डीएचएस अधिकारी ने कहा कि पहला कारण यह है कि वे अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करना चाहते थे या उनके पास अमेरिका में रहने का कोई कानूनी आधार नहीं था, या वे वैध रूप से वीजा पर आए थे, लेकिन निर्धारित अवधि से ज्यादा वक्त तक रुके रहे. उन्होंकहा कि यहां तक कि जिन लोगों के पास निवास की वैध अनुमति है, लेकिन उन्होंने अपराध किए हैं, लेकिन आम तौर पर, जिन्हें निर्वासित किया गया, वे ऐसे व्यक्ति थे जो अवैध रूप से सीमाओं में से एक को पार करना चाहते थे.
यूएस डीएचएस में सीमा और आव्रजन नीति के सहायक सचिव ने कहा, “हम कई मुद्दों पर भारत के साथ अपने कामकाजी संबंधों को मजबूत करना जारी रख रहे हैं और हम संबंधों के और भी मजबूत होने की उम्मीद करते हैं.” सीनियर अमेरिकी अधिकारी ने यह भी कहा कि 22 अक्टूबर को किए गए निर्वासन का किसी अन्य कानून प्रवर्तन गतिविधि से कोई संबंध नहीं था.
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