नई दिल्ली: पिछले हफ्ते अमेरिकी एयरस्पेस में चीन का एक जासूसी गुब्बारा मिलने से हड़कंप मच गया था, जिसे बाद में अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने मार गिराया. लेकिन इस तरह के हथकंड़ों से जासूसी करने के आरोप चीन पर लगते रहे हैं. अब सुरक्षा जोखिमों को भांपते हुए ऑस्ट्रेलिया सरकार ने डिफेंस मिनिस्ट्री की इमारतों पर लगे चीन निर्मित कैमरे हटाने का फैसला किया है.
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स ने बताया कि चीन में बने कैमरों को रक्षा विभाग की इमारतों से हटाया जाएगा. उनका यह बयान उन रिपोर्टों के बीच आया है, जिसमें कहा जा रहा था कि देश की महत्वपूर्ण इमारतों पर लगे चीन निर्मित इन कैमरों से सुरक्षा जोखिम बना हुआ है.
मार्ल्स ने कहा कि यह एक तरह की समस्या है. हम रक्षा विभाग की सभी सर्विलांस टेक्नोलॉजी का आकलन कर रहे हैं, जहां-जहां चीन में बने कैमरों का पता चलेगा. उन्हें हटाया जाएगा.
विपक्षी सांसद जेम्स पैटरसन ने कहा कि उनकी ऑडिट से पता चला है कि चीन की दो कंपनियों हैंगझू हिक्विजन डिजिटल टेक्नोलॉजी और दाहुआ टेक्नोलॉजी के लगभग 1,000 कैमरे ऑस्ट्रेलिया सरकार की 250 से अधिक सरकारी इमारतों पर लगे हुए हैं.
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया से पहले अमेरिका और ब्रिटेन भी ऐसा कर चुका है. अमेरिका सरकार ने पिछले साल नवंबर में चीनी ब्रांड के कई कैमरों और इंटरफेस पर बैन लगा दिया था. ब्रिटेन की सरकार ने भी नवंबर में ही हिकविजन की ओर से बने सुरक्षा कैमरों पर बैन लगाया था.
ऑस्ट्रेलिया के इस कदम पर चीन का जवाब
ऑस्ट्रेलिया सरकार के इस कदम को चीन ने गलत ठहराते हुए कहा है कि उन्हें चीन की सर्विलांस कैमरा कंपनियों के प्रति निष्पक्ष होना चाहिए.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन सरकार बाजार के सिद्धांतों और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप हमेशा से चीनी कंपनियों को विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करता है. हम ऐसी किसी भी अप्रोच का विरोध करते हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के कॉन्सेप्ट को जेनेरेलाइज करता है और जो चीनी कंपनियों को लेकर भेदभावकारी है.
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि ऑस्ट्रेलिया, चीनी कंपनियों को एक निष्पक्ष और गैर भेदभावकारी माहौल मुहैया कराएगा. साथ ही ऐसे कदम उठाएगा जिससे दोनों पक्षों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग बढ़े.
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