वाशिंगटन । विस्तारवादी चीन (China) के रवैये से पूरी दुनिया परेशान है। छोटे व कमजोर पड़ोसी देशों पर चीन लगातार अपना रौब जमा रहा है। हालांकि, भारत (India) के आगे उसकी यह विस्तारवादी नीति लगातार फेल हो रही है। कूटनीति हो या सैन्य कार्रवाई, भारत हर भाषा में चीन को करारा जवाब दे रहा है। ऐसे में अमेरिका (America) को भी भारत से ही उम्मीदें हैं।
चीन को रोकने के लिए अमेरिका ने भारत के पक्ष में बड़ा फैसला किया है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (एनडीएए) में संशोधन के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है। अब अमेरिकी सांसदों को भारत द्वारा रूस से हथियार खरीदने पर कोई आप्पति नहीं है। दरअसल, अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने भारत को काट्सा (CAATSA) कानून के तहत पांबदियों से छूट दिए जाने की मांग की थी।
अमेरिका-भारत भागीदारी से ज्यादा कुछ महत्वपूर्ण नहीं
इस मौके पर रो खन्ना ने कहा, ‘‘अमेरिका को चीन के बढ़ते आक्रामक रूख के मद्देनजर भारत के साथ खड़ा रहना चाहिए। उन्होंने कहा, यह संशोधन अत्यधिक महत्वपूर्ण है और मुझे यह देखकर गर्व हुआ कि इसे दोनों दलों के समर्थन से पारित किया गया है। अमेरिका-भारत भागीदारी से ज्यादा महत्वपूर्ण अमेरिका के रणनीतिक हित में और कुछ भी इतना जरूरी नहीं है।
क्या है CAATSA कानून?
इस कानून के तहत अमेरिका अपने विरोधी देशों से हथियारों की खरीदी के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कदम उठाता है। अमेरिका CAATSA के तहत उन देशों पर प्रतिबंध लगाता है जिनका ईरान, उत्तर कोरिया या रूस के साथ लेनदेन है। प्रतिनिधि सभा के मंजूरी के बाद भी यह प्रस्ताव अभी कानून का हिस्सा नहीं है। इसे कानूनी मान्यता देने के लिए प्रस्ताव को अमेरिकी संसद के दोनों सदनों में पास कराना होगा।
चीन से खतरे का दिया था हवाला
भारत द्वारा रूस से एस-500 मिसाइल रक्षा प्रणाली (s-500 missile system) खरीदने के कारण अमेरिका कॉट्सा अधिनियम के तहत कार्रवाई पर विचार कर रहा है। इस मामले में भारत का पक्ष लेते हुए रो खन्ना ने कहा था कि भारत को अपनी रक्षा जरूरतों के लिए भारी रूसी हथियार प्रणालियों की जरूरत है। इसलिए उसे CAATSA के तहत प्रतिबंधों में छूट दी जाए। रूस और चीन की घनिष्ठ साझेदारी को देखते हुए हमलावरों को रोकने के लिए ऐसा करना अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी के सर्वोत्तम हित में होगा। दरअसल, भारत ने अक्टूबर 2018 में एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के 5 स्क्वाड्रनों के लिए रूस के साथ 5.43 अरब डॉलर का सौदा किया था।
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