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Ambedkar Jayanti: राष्ट्रपति मूर्मू, पीएम नरेंद्र मोदी ने किया नमन, प्रधानमंत्री बोले-आंबेडकर के सिद्धांत आत्मनिर्भर भारत को गति देंगे

  • April 14, 2025

    नई दिल्ली. डॉ. भीमराव आंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar) की जयंती (Jayanti) के अवसर पर सोमवार को संसद भवन (Parliament House) परिसर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आंबेडकर के सिद्धांत और विचार ‘आत्मनिर्भर’ और विकसित भारत के निर्माण को गति देंगे। उनकी प्रेरणा के कारण ही देश सामाजिक न्याय के सपने को साकार करने के लिए समर्पित है।

    कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने भी आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान केंद्रीय मंत्री, सांसद और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मौजूद थीं।

    राष्ट्रपति ने आंबेडकर जयंती पर शुभकामनाएं दीं
    आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में आंबेडकर का योगदान आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पण के साथ काम करने के लिए प्रेरित करता रहेगा। अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि बाबा साहेब ने अत्यधिक चुनौतियों का सामना करने के बाद भी एक अलग पहचान बनाई। उन्होंने अपनी असाधारण उपलब्धियों से दुनिया में सम्मान पाया।

    आंबेडकर महान समाज सुधारक और समतावादी समाज के प्रबल समर्थक थे
    राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि डॉ. भीमराव शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन और दलितों के सशक्तीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण साधन मानते थे। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब विलक्षण योग्यता और बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे। वह एक अर्थशास्त्री, शिक्षाविद्, कानूनविद और महान समाज सुधारक थे। वे समतावादी समाज के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने महिलाओं और वंचित वर्गों के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया।

    14 अप्रैल, 1891 में महाराष्ट्र में हुआ जन्म
    डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 में महाराष्ट्र के एक दलित परिवार में हुआ था। वह एक साधारण पृष्ठभूमि ताल्लुक रखते थे। वह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हाशिये पर पड़े लोगों की आवाज बने। उन्होंने कई सामाजिक सुधारों की शुरुआत भी की। वे भारत के पहले कानून मंत्री भी थे।

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