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    खजुराहो में मंदिरों के दीदार कर मंत्रमुग्ध हुए राजदूत, जाना मंदिरों का इतिहास

  • February 19, 2022

    छतरपुर। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी खजुराहो में 48वां खजुराहो नृत्य समारोह (48th Khajuraho Dance Festival in Khajuraho) 20 फरवरी से 26 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है। इस समारोह में विश्व विख्यात कलाकार अपनी नृत्य प्रस्तुतियां देंगे। इस कार्यक्रम में दूसरे अन्य देशों के उच्चायुक्त व राजदूत शिरकत करेंगे। कार्यक्रम को देखने शनिवार को कई देशों के उच्चायुक्त खजुराहो पहुंचे। विदेशी मेहमानों ने शाम को खजुराहो के ऐतिहासिक स्थलों को जाकर देखा, साथ ही इन स्थलों के इतिहास को जाना और स्थलों के बारे में जानकर काफी सराहना की।



     

    ऐतिहासिक नगरी खजुराहो के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी पर्यटन विभाग के द्वारा उपलब्ध कराई गई। इस दौरान विभिन्न देशों के राजदूत कई घंटों मन्दिर परिसर में बिताया। जहां उन्होंने खजुराहो के इस गौरवशाली इतिहास को जाना। खजुराहो प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्व विख्यात हैं। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो को प्राचीन काल में खजूरपुरा और खजूर वाहिका के नाम से भी जाना जाता था।

     

    भारत मे 20 लाख से अधिक हिन्दू मंदिर है। यंग मंदिर भारतीय संस्कृति की विविधता और जीवन प्रणाली को दर्शाते है। खुजराहो के मंदिर नागर शैली के मंदिरों का एक अद्भुत उदाहरण है। क्योंकि मंदिरों में एक गर्भगृह एक छोटा आंतरिक कक्ष एक अनुप्रस्थ भाग, (महामण्डप) अतिरिक्त सभागृह (अर्ध मंडप) एक मंडप या बीच का भाग और एक चल मार्ग (प्रदिक्षणा मार्ग) जो बड़ी खिड़कियों के साथ है।

     

    खुजराहो अपने सुशोभनीय मंदिरों के लिए प्रिसिद्ध है। इसे चंदेल शासकों द्वारा 900 ईस्वी से 1130 ईस्वी के बीच बनाया गया था। ऐसा कहा जाता है। कि यह मंदिर 20 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए थे। और बारहवीं शताब्दी में यहां लगभग 85 मंदिर थे। चंदेल साम्राज्य का दसवीं से चौदहवीं शताब्दी तक मध्य भारत पर शासन किया था। हिन्दू मंदिर निर्माण की एक प्रमुख विशेषता यह है कि मंदिर का मुख सूर्योदय की दिशा में होना चाहिए। खजुराहो में सभी मंदिरों का निर्माण इसको ध्यान में रख कर किया गया है। इसके अलावा इसकी नक्काशी हिन्दू धर्म में जीवन के चार लक्ष्यों अर्थात धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को दर्शाती है।

     

    एक सिद्धांत का मानना है कि इन मंदिरों के निर्माण को शिव-शक्ति संप्रदाय के प्रसार के रूप में माना जा सकता है। यह सिद्धांत है कि यह मंदिर देवदासिया जो कभी मंदिर की गतिविधियों का एक प्रमुख भाग थी। उनका प्रतिनिधित्व करते है। खुजराहो के मंदिर में देव दासियों बनने के लिए सबसे सुंदर महिलाओं को मगध मालवा और राजपूताना से लाया जाता था। सुदरियों जो मंदिर की आंतरिक और बाहरी दीवारों पर है। उनको वास्तविक जीवन से लिया गया और देवी-देवताओं की मूर्तियों के साथ स्थापित किया गया है। नृत्य समारोह शुरु होने के पूर्व विभिन्न देशों से आये राजदूतों ने खजुराहो नगर का भ्रमण भी किया।

     

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