– अमेजन-फ्लिपकार्ट की फेस्टिवल सेल पर प्रतिबंध लगाने की मांग
नई दिल्ली । त्योहारी सीजन की शुरुआत होने वाली है। इसी के मद्देनजर ई-कॉमर्स कंपनियां अमेजन और फ्लिपकार्ट ने बंपर फेस्टिवल सेल का ऐलान कर चुकी है लेकिन कारोबारी संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को चिट्ठी लिखकर इस फेस्टिवल सेल पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की मांग की है। कैट का कहना है कि ऐसा नहीं हुआ तो इस फेस्टिवल सेल से इन कंपनियों को एक बड़ी राशि पर लगने वाले जीएसटी से बचने का और मौका मिल जाएगा।
एफडीआई नीति का पूरी तरह से है उल्लंघन
कैट ने वित्त मंत्री और वाणिज्य मंत्री को भेजे गए एक पत्र में तर्क दिया है कि ये ई-कॉमर्स कंपनियां जीएसटी और आयकर नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं। नियमों के उल्लघंन की जांच के लिए केंद्र सरकार को स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करना चाहिए। कैट महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बुधवार को कहा कि एक ओर फ्लिपकार्ट ने 16 अक्टूबर से एक फेस्टिवल सेल आयोजित करने का ऐलान किया है, जबकि अमेजन अपनी फेस्टिवल सेल 17 अक्टूबर से आयोजित कर रहा है जो सीधे तौर पर सरकार की एफडीआई नीति का पूरी तरह से उल्लंघन है।
घाटे में चल रही कंपनियां कैसे दे रहीं छूट
खंडेलवाल ने कहा कि त्यौहारी सीजन में इन ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा दी जा रही बंपर सेल के तहत सामानों को वास्तविक मूल्य से भी कम दाम पर बेचा जा रहा है। ये कंपनियां विभिन्न सामानों पर 10 से 80 फीसदी तक छूट दे रही है, जबकि सामानों पर जीएसटी बिक्री मूल्य पर वसूला जाता है। ऐसे में सरकारी खजाने पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। अगर सामानों को वास्तविक मूल्य पर बेचा जाता है तो जीएसटी का कलेक्शन ज्यादा होगा। कैट ने कहा कि इन कंपनियों में निवेश कर रहे निवेशक ही छूट दे रहे हैं, जिसका खमियाजा सरकार को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से घाटे में चली आ रही यह ई-कॉमर्स कंपनियां लगातार बंपर छूट दे रही हैं। ऐसे में ये सवाल उठता है कि घाटे में चल रही कोई कंपनी कैसे इतनी छूट दे सकती है, जो जांच का विषय है।
ई-कॉमर्स कंपनियां कर रही बिजनेस टू कंज्यमूर डील
कैट महामंत्री ने कहा कि अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां केवल बिजनेस टू बिजनेस डील करने के लिए ही अधिकृत है, जबकि जांच एजेंसियों के आंखों मे धूल झोककर ये कंपनियां भारत में बिजनेस टू कंज्यूमर डील करने लगी हैं। उन्होंने कहा कि हैरानी कि बात ये है कि सरकार ने इनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठा रही हैं। केंद्रीय वित्त एवं वाणिज्य मंत्रियों को लिखे गए पत्र में जिक्र किया गया है कि देश के करोबारी ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ नहीं है और ना ही किसी स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा से डरते हैं लेकिन इसके लिए देशभर में सामान स्तर का प्रतिस्पर्धी वातावरण होना जरूरी है। (एजेंसी, हि.स.)
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